सरसों की बिजाई 20 फीसदी कम, मगर क्वालिटी बेहतर

राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ की राज्य स्तरीय ऑयलसीड सेमिनार संपन्न

जयपुर। राजस्थान में इस साल सरसों की बिजाई पिछले साल की तुलना में करीब 20 फीसदी कम हुई है। मगर सरसों की क्वालिटी एवं ऑयल परसन्टेज बेहतर होने के समाचार हैं। लिहाजा इस वर्ष राज्य में तकरीबन 25 लाख टन सरसों उत्पादन का अनुमान है। ये जानकारी राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के तत्वावधान में रविवार को आयोजित रबी ऑयल एंड ऑयलसीड सेमिनार में दी गई। संगोष्ठी में प्रदेश के सभी जिलों से आए लगभग 70 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। संघ के चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता ने बैठक की अध्यक्षता की। सेमिनार में टैक्निकल सत्र को संबोधित करते हुए मणिशंकर ऑयल्स के मनोज मुरारका ने एफएसएसएआई से संबंधित समस्याओं को उजागर किया तथा उनका समाधान बताया। शकुन्तला इंडस्ट्रीज भरतपुर के अनिल अग्रवाल, बंसल ऑयल मिल जयपुर के आदित्य अग्रवाल, जयनारायण गोयल, संदीप गोयल, शैलेन्द्र काकरिया, एच.के. टोडवाल, नीरज अग्रवाल, श्याम बजाज, संजय कोठारी एवं नागौर से आए गौतम टाक ने भी तेल उद्योग से संबंधित समस्याओं को बताया। इस मौके पर बाबूलाल गुप्ता ने कहा कि शीघ्र ही राज्य सरकार को व्यापारिक समस्याओं के समाधान के लिए ज्ञापन दिया जाएगा। महेश जैन ने आगंतुकों का आभार व्यक्त किया।

उद्योग की मुख्य मांगे :

जीएसटी रिटर्न को त्रैमासिक किया जाए

तिलहनों से जीएसटी समाप्त किया जाए

आयातित तेलों की कीमतें घरेलू भावों के समकक्ष रहें, इसे देखते हुए एक्साइज ड्यूटी लगाई जाए।

राजस्थान को सरसों प्रदेश घोषित किया जाए।

सरसों तेल से एक्सपोर्ट बैन हटाया जाए।

तेल मिलों की एफएसएसएआई संबधित निजी लैब. की जांच रिपोर्ट को कानूनी मान्यता दी जाए।

जीएसटी से आरसीएम खत्म किया जाए।

मस्टर्ड डीओसी पर इन्सेंटिव बढ़ाकर 10 फीसदी करने की मांग।

ब्लेंडेड तेल को लाइसेंस देना बंद किया जाए।