10 बैंकों का मर्जर कर 4 बनाने का फैसला आज से प्रभावी

विलय के बाद देश में सरकारी बैंकों की संख्या घटकर अब 12

जयपुर, 1 अप्रैल। (ब्यूरो रिपोर्ट) अंतरराष्ट्रीय पटल पर बड़े बैंक बनाने के उद्देश्य से सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का मर्जर कर 4 बनाने का फैसला आज एक अप्रैल से प्रभावी हो गया। इसके साथ ही 6 सरकारी बैंकों का नाम बदल जाएगा। जिन बैंकों का नाम बदलेगा उनमें इलाहाबाद बैंक, कॉर्पोरेशन बैंक, आंध्रा बैंक, सिंडिकेट बैंक, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं। इस विलय के बाद देश में सरकारी बैंकों की संख्या घटकर 12 रह जाएगी।

ये होंगे नए नाम

बैंकों के विलय को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक अधिसूचना जारी कर चुका है। एक अप्रैल से इलाहाबाद बैंक की शाखाएं इंडियन बैंक की शाखाओं के रूप में काम करेंगी। इसी तरह से कॉर्पोरेशन बैंक और आंध्रा बैंक की शाखाएं भी यूनियन बैंक की शाखाओं के तौर पर काम करेंगी। यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया तथा ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स की शाखाएं पंजाब नेशनल बैंक की शाखाओं के रूप में काम करेंगी, जबकि सिंडिकेट बैंक की शाखाएं केनरा बैंक की हो जाएंगी। इस तरह से देश में 10 बैंकों का विलय प्रभावी हो जाएगा।

पंजाब नेशनल बैंक देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक होगा

विलय के बाद पंजाब नेशनल बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक हो जाएगा। इसका कारोबार 17.94 लाख करोड़ रुपए का होगा। एसबीआई का कारोबार अभी 52 लाख करोड़ रुपए का है। बैंक ऑफ बड़ौदा तीसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक हो जाएगा। इसके बाद क्रमश: केनरा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन बैंक का स्थान होगा। देश के अन्य सरकारी बैंकों में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और पंजाब एंड सिंध बैंक शामिल हैं।

विलय के बाद बड़े आकार के 7 सरकारी बैंक होंगे

विलय के बाद देश में 7 बड़े आकार के सरकारी बैंक और 7 छोटे आकार के सरकारी बैंक होंगे। वर्ष 2017 में 27 सरकारी बैंक थे। विलय के बाद बनने वाले 7 बड़े सरकारी बैंकों में से सभी राष्ट्रीय स्तर के बैंक होंगे। नए बैंकों में से हर एक का कारोबार 8 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का होगा।

विलय के बाद उपभोक्ता पर क्या होगा असर

1 बैंकों के विलय का सीधा असर बचत खाता, चालू खाता और अन्य तरह के खातों पर होगा। विलय की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद इन खाताधारकों को बैंक जाकर अपनी मौजूदा पासबुक को नई पासबुक से बदलवाना होगा।

2 विलय होने वाले बैंकों के अकाउंट नंबर में अगर बराबर अंक रहे तो अकाउंट नंबर शायद नहीं बदले, लेकिन खाता नंबरों के अंकों की संख्या में फर्क होने पर उनमें निश्चित रूप से बदलाव होगा।

3 विलय प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसमें शामिल बैंकों में से किसी एक बैंक की ब्रांच किसी इलाके में एक से ज्यादा पाई जाती हैं तो कुछ ब्रांच बंद हो सकती हैं। वहीं अगर बैंकों की एक शहर में आसपास ब्रांच हैं तो उन्हें भी मर्ज किया जाएगा।

4 विलय प्रक्रिया के बाद इसमें शामिल 10 में से 6 बैंकों के नाम बदल जाएंगे और पुराने बैंक के नाम वाली चेकबुक भी निरस्त हो जाएगी। उसकी जगह पर नई चेकबुक जारी की जाएगी।

5 विलय होने वाले बैंकों की अलग-अलग ब्रांचों के IFSC (इंडियन फाइनेंशियल सिस्टम कोड) नंबर तुरंत प्रभावित तो नहीं होंगे, लेकिन विलय प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात उनमें निश्चित रूप से बदलाव होगा और वे पूरी तरह बदल जाएंगे।

6 विलय में शामिल अलग-अलग बैंकों की ओर से ग्राहकों को जारी डेबिट और क्रेडिट कार्ड पर इस प्रक्रिया का कोई असर नहीं होगा और वे पहले की तरह काम करते रहेंगे।

7 बैंकों के एकीकरण के बाद नए ग्राहकों के लिए एफडी और आरडी की ब्याज दरें एकीकरण के बाद बने बैंक वाली और एक जैसी होंगी।

8 पहले से चल रहे विभिन्न तरह के लोन जैसे होम लोन, व्हीकल लोन, एजुकेशन लोन, पर्सनल लोन और गोल्ड लोन की पुरानी दरों में कोई बदलाव नहीं होगा।

9 विलय से प्रभावित होने वाले बैंक के ग्राहकों को अपने नए अकाउंट नंबर और IFSC की डिटेल्स इनकम टैक्स, इंश्योरंस कंपनी, म्यूचुअल फंड सहित सभी जगह अपडेट करना होंगी। एसआईपी और ईएमआई में भी ब्योरा अपडेट करना होगा।