राज्य की 40 फीसदी सरसों तेल इकाईयां बंद

विदेशी तेलों की भारी आवक से उत्पादन बेपड़ता

देश में प्रति माह आ रहा 13 लाख टन आयातित तेल

जयपुर, 16 जुलाई। देश में भारी मात्रा में आयातित तेलों की आवक होने से घरेलू सरसों तेल उद्योग की कमर टूट गई है। उत्पादन बेपड़ता होने से राज्य की करीब 40 फीसदी सरसों तेल इकाईयां बंद हो गई हैं। और जो चालू हालत में हैं वे भी निर्धारित क्षमता से काफी कम चल रही हैं। ज्ञात हो कि प्रदेश में छोटी बड़ी मिलाकर लगभग 1700 तेल इकाईयां हैं। आपको बता दें कि वर्तमान में भारत में लगभग 13 लाख टन विदेशी तेलों का आयात प्रति माह हो रहा है। मस्टर्ड ऑयल प्रॉड्यूशर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (मोपा) के अध्यक्ष बाबूलाल डाटा एवं महासचिव के.के. अग्रवाल ने प्रधानमंत्री को भेजे ज्ञापन में कहा है कि सरसों तेल उद्योग को बचाना है तो आयातित तेलों पर तुरंत रोक लगाई जाए या फिर ड्यूटी बढ़ाई जावे। ध्यान रहे देश में आरबीडी पामोलिन तेल का भारी मात्रा में आयात हो रहा है। वर्तमान में पामोलिन तेल के भाव घरेलू तेलों के मुकाबले 25 से 30 रुपए प्रति किलो तक सस्ते हैं।

डाटा ने कहा कि सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4200 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि मंडियों में यह 3600 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास बिक रही है। यानी अन्नदाता को अपनी उपज का 600 रुपए प्रति क्विंटल कम मिल रहा है। गौर किया जाना चाहिए कि उचित दाम मिले बिना किसान तिलहनी फसलों की ओर क्यों ध्यान देगा। हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश को तिलहन के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाने हेतु विशेष प्रयास करने की बात हाल ही संसद में कह चुके हैं।

सरसों तेल उद्योग को बचाने के लिए ये करे सरकार

1 आरबीडी पाम तेल की आयात सीमा निर्धारित की जावे। प्रति माह दो लाख टन से अधिक आरबीडी पामोलिन के आयात पर प्रतिबंध लगाया जाए।

2 वर्तमान में आरबीडी पामोलिन आयात पर 45 फीसदी ड्यूटी है। डब्ल्यूटीओ के तहत इस पर 45 ड्यूटी ही लगाई जा सकती है, लेकिन वर्तमान में आयातित तेलों पर सैस 10 फीसदी है, इसे बढ़ाकर तुरंत 30 फीसदी कर देना चाहिए।

3 क्रूड सोयाडिगम पर ड्यूटी 35 फीसदी है। इसे बढ़ाकर 45 फीसदी करना उचित होगा।

4 वर्तमान में सरकार ने सोया डीओसी पर निर्यात प्रोत्साहन राशि 10 फीसदी कर रखी है। इसके विपरीत सरसों डीओसी पर निर्यात प्रोत्साहन राशि 5 प्रतिशत ही है। लिहाजा इसे बढ़ाकर 20 फीसदी करना तर्कसंगत होगा।

5 किसान की सरसों 4200 रुपए प्रति क्विंटल से कम कीमत पर बिक्री नहीं हो, ऐसा प्रबंध किया जाए।