मंडी टैक्स तथा कृषक कल्याण शुल्क की वजह से……

राज्य से बाहर बिकने जा रही राजस्थान की सरसों

जयपुर, 12 जून मस्टर्ड ऑयल प्रॉड्यूशर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (मोपा) ने कृषि उपज मंडी परिसर में किसान द्वारा सरसों लाने पर उस पर लगने वाले 1 फीसदी मंडी शुल्क तथा 1 प्रतिशत कृषक कल्याण शुल्क को समाप्त करने का अनुरोध किया है। ज्ञात हो पड़ौसी राज्यों में कृषक कल्याण जैसे शुल्क नहीं होने से राजस्थान की सरसों पड़ौसी राज्यों में बिकने के लिए जा रही है। परिणामस्वरूप प्रदेश की सरसों तेल इकाईयों को उचित दामों पर सरसों उपलब्ध नहीं हो पा रही है। गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने 5 जून 2020 के राजपत्र द्वारा मंडी क्षेत्र से बाहर कृषि उत्पाद के व्यावसाय को सभी करों से मुक्त कर दिया है। जबकि उसी कृषि उत्पाद सरसों को मंडी क्षेत्र में लाने पर मंडी शुल्क तथा कृषक कल्याण शुल्क दोनों देने होते हैं।

मोपा अध्यक्ष बाबूलाल डाटा एवं मंत्री कृष्ण कुमार अग्रवाल ने कहा कि निश्चत रूप से अब खरीददार मंडी क्षेत्र से बाहर ही कृषि जिंसों का क्रय-विक्रय करेगा। फलस्वरूप मंडी क्षेत्र में कृषि जिंसों की आवक समाप्त हो जाएगी। डाटा ने कहा कि राजस्थान में छोटी बड़ी मिलाकर करीब दो हजार सरसों तेल इकाईयां हैं। राजस्थान अकेला प्रदेश है, जहां देश की कुल सरसों पैदावार का 50 फीसदी उत्पादन होता है। डाटा ने कहा कि यदि सरसों को मंडी क्षेत्र में भी पूर्ण मंडी टैक्स एवं कृषक कल्याण शुल्क से मुक्त कर दिया जावे तो उद्योग को अपने लिए कच्चे माल के रूप में सरसों की उपलब्धता सहज हो जाएगी। डाटा ने बताया कि इससे राज्य का सरसों तेल उद्योग निर्बाध गति से रोजगार एवं राजस्व देता रहेगा। इसके अतिरिक्त सरकार को जीएसटी के रूप में राजस्व भी मिलता रहेगा।