लॉकडाउन में कर बचत प्रक्रियाओं से मिलने वाले लाभ

आयकर विभाग द्वारा दी गई छूटों का करदाता को कैसे मिले फायदा, हमारे संवाददाता की रिपोर्ट

नई दिल्ली, 6 जुलाई। कोरोना वायरस संकट के लगातार जारी रहने के कारण आयकर विभाग ने करदाताओं को समय सीमा की कुछ छूटें प्रदान की हैं। इस समय व्यवहारिक चुनौतियां भी सामने आ रही हैं। लॉकडाउन में विस्तार के कारण हो सकता है कि लोग 31 जुलाई तक कर-बचत प्रक्रियाओं को पूरा न कर सकें। इस संबंध में प्रस्तुत है सिलसिलेवार जानकारी:-

वित्त वर्ष 2018-19 के लिए रिटर्न दाखिल करना

अगर आपने वित्त वर्ष 2018-19 (आकलन वर्ष 2019-20) के लिए मार्च 2020 तक आयकर रिटर्न जमा नहीं किया है, तो अब आपको 31 जुलाई 2020 तक का अतिरिक्त समय मिलेगा। साथ ही, अगर आप पहले से दाखिल अपने आयकर रिटर्न को संशोधित करना चाहते हैं तो अब 31 जुलाई 2020 तक ऐसा कर सकते हैं। भले ही रिटर्न जमा करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई 2020 तक बढ़ा दी गई हो, लेकिन करदाता को इस पर लगने वाले विलंब शुल्क के साथ ही धारा 234ए/बी/सी के तहत ब्याज देना होगा।

स्व-मूल्यांकन कर-भुगतान समय सीमा

वित्त वर्ष 2020 के लिए छोटे करदाताओं को राहत मिलेगी, क्योंकि आईटी विभाग धारा 234-ए के तहत ब्याज नहीं लेगा, बशर्ते करदाता का स्व-मूल्यांकन कर-दायित्व एक लाख रुपए से अधिक नहीं है और रिटर्न विस्तारित देय तिथि (30 नवंबर 2020) तक दायर कर दिया जाता है। अगर स्व-मूल्यांकन कर के भुगतान में कोई कमी रहती है या मूल देय तिथि की समाप्ति के बाद रिटर्न दाखिल किया जाता है, तो धारा 234-ए के तहत ब्याज वसूला जाता है।

वित्त वर्ष 2020 के लिए रिटर्न जमा करना

 

अगर किसी व्यक्ति के खाते के लेखा परीक्षण की आवश्यकता नहीं है तो उनके लिए वित्त वर्ष 2020 के लिए आयकर रिटर्न दायर करने की 31 अगस्त 2020 थी। इसी तरह, लेखा परीक्षण की आवश्यकता वाले खातों के लिए अंतिम तिथि 31 अक्टूबर 2020 थी। केंद्र ने अब दोनों ही तारीखों को बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दिया है। इस तरह अब 30 नवंबर 2020 तक अगर आईटीआर जमा किया जाता है तो किसी तरह का विलंब शुल्क नहीं लगेगा।

कर कटौती का दावा करने वाले निवेश

नई समय सीमा 31 जुलाई 2020 है। यदि कोई व्यक्ति इस समय सीमा से पहले दान/निवेश (एलआईसी/पीपीएफ/स्कूल शुल्क) करता है, तो वह वित्त वर्ष 2020 के आईटीआर में इसे लेकर कर लाभ का दावा कर सकता है। हालांकि, यह आयकर अधिनियम के तहत उपलब्ध अधिकतम सीमा के अधीन होगा।

कटौती का दावा करने के लिए संपत्ति में निवेश

आयकर अधिनियम की धारा 54 से 54-जी के प्रावधानों के तहत पूंजीगत लाभ के संबंध में कटौती का दावा करने के लिए निवेश/निर्माण/खरीद के लिए नियत तारीख 30 सितंबर 2020 तक बढ़ा दी गई है, जो मूल रूप से 31 मार्च 2020 तक थी। साथ ही, घर में निवेश या निर्माण पूरा करने, बांड या पूंजीगत लाभ खाता योजना में निवेश करने की अंतिम तिथि 30 सितंबर 2020 कर दी गई है।