बंपर उत्पादन के बावजूद नहीं घटे गेहूं के दाम

  • आटा, मैदा व सूजी की ग्राहकी नगण्य

जयपुर, 24 मई। इम्पोर्ट ड्यूटी को लेकर जयपुर मंडी में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। मगर गेहूं पर आयात शुल्क 20 से बढ़ाकर 30 फीसदी किए जाने के दो मुख्य कारण हैं:-

1, विदेशी गेहूं उत्पादकों से कड़ा मुकाबला

  1. देश में गेहूं का बंपर उत्पादन

लक्ष्मीभोग आटे के निर्माता नरेश चौपड़ा ने बताया कि 20 प्रतिशत की इम्पोर्ट ड्यूटी और क्लियरिंग चार्ज मिलाकर यूक्रेन और रूस से गेहूं का आयात 22300 रुपए प्रति टन पड़ता है। मध्य प्रदेश में पैदा होने वाली वैरायटी का भाव करीब 22800 रुपए प्रति टन चल रहा है। परिणामस्वरूप मध्य प्रदेश के गेहूं को रूस से कड़ी प्रतिस्पर्धा झेलनी पड़ रही है। इसी प्रकार ऑस्ट्रेलिया से आयातित प्रीमियम गेहूं का भाव भी 24300 रुपए प्रति टन चल रहा है।

इधर सरकार के तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक देश में गेहूं का रिकार्ड उत्पादन होने की संभावना। वर्ष 2017-18 में देश में गेहूं का उत्पादन 9.86 करोड़ टन होने का अनुमान है। सरकार ने इससे पहले देश में चने के रिकार्ड उत्पादन को ध्यान में रखते हुए इसके आयात को बढ़ाकर 60 प्रतिशत कर दिया था। यह बढ़ोतरी मार्च में हुई थी। गेहूं का उंपर उत्पादन होने के बावजूद बाजार में गेहूं की कीमतें नहीं घटी हैं। अलबत्ता गेहूं उत्पादों की बाजार में डिमांड नहीं होने से गेहूं का व्यापार ठंडा चल रहा है। जयपुर मंडी में मिल डिलीवरी दड़ा गेहूं के दाम 1825 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास बोले जा रहे हैं।