देशी घी के व्यापार पर जीएसटी की मार, दूध पाउडर भी सुस्त

एसएमपी में ब्याह शादियों एवं हलवाईयों की अपेक्षित मांग नहीं

जयपुर, 1 जुलाईदूध की कीमतों में निरंतर तेजी को देखते हुए देशी घी के भाव फिलहाल काफी निचले स्तर पर चल रहे हैं। जैसे ही ग्राहकी निकलेगी देशी घी 10 से 15 रुपए प्रति किलो महंगा हो जाएगा। ब्रोकर दिनेश जाजू ने बताया कि इन दिनों घी में ब्याह शादियों एवं हलवाईयों की अपेक्षित मांग नहीं है। परिणामस्वरूप घी के भाव सामान्य से भी नीचे चल रहे हैं। देशी घी पर जीएसटी 12 फीसदी होने से भी कारोबार मंदा बना हुआ है। माना जा रहा है कि बारिश में संभवतया घी की डिमांड निकल सकती है। इस बीच स्किम्ड् मिल्क पाउडर यानी एसएमपी में भी सुस्ती का आलम है। विभिन्न ब्रांडों का एसएमपी 250 से 300 रुपए प्रति किलो पर लगभग स्थिर बना हुआ है। जाजू ने कहा कि उत्तर भारत के प्लांटों में मक्खन एवं देशी घी इन दोनों उत्पादों का स्टॉक ज्यादा नहीं हैं। इसके अलावा पाइपलाइन भी खाली है। इन सबके बावजूद भी घी का बाजार बढ़ नहीं पा रहा है। कुछ कारोबारियों के अनुसार इसका मुख्य कारण यह है कि चालानी में जो माल कुल उत्पादन का 70 फीसदी प्लांटों से बिकता था, वह 12 फीसदी जीएसटी लगने के कारण पूरी तरह चौपट हो गया है। देशी घी पर 5 के बजाए 12 प्रतिशत जीएसटी लगने से सरकार को राजस्व का भी नुकसान हो रहा है। गौरतलब है कि दूध की किल्लत होने तथा कोविड-19 महामारी के चलते प्लांट पिछले तीन माह से बंद पड़े हुए हैं। इसके बावजूद देशी घी के भाव नीचे चल रहे हैं। निर्माता कंपनियों के घर में देशी घी 6100 रुपए प्रति टिन से कम पर पड़ता नहीं लग रहा है, जबकि बाजार इसके भाव 5900 रुपए प्रति टिन के आसपास बोले जा रहे हैं। जीएसटी अधिक होने से मिलावट को भी बढ़ावा मिल रहा है।