आयातित तेलों पर टैरिफ दर घटे, तो सस्ते हो सकते हैं खाने के तेल

सैंट्रल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड ने दिया सरकार को सुझाव

जयपुर, 16 जून। सैंट्रल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (कुईट) ने सुझाव दिया है कि केन्द्र सरकार यदि आयातित तेलों के वर्तमान भावों पर टैरिफ आरोपित करे, तो खाद्य तेल की कीमतें 6 से 7 रुपए प्रति किलो तक घट सकती हैं। कुईट चेयरमैन सुरेश नागपाल एवं प्रेसिडेंट बाबूलाल डाटा ने कहा कि केन्द्र सरकार ने आयातित क्रूड पाम ऑयल और क्रूड सोयाडिगम के टैरिफ मूल्य में फिलहाल कोई बदलाव नहीं किया है। सरकार ने बीते माह 31 मई को सोयाडिगम पर टैरिफ मूल्य 1452 डॉलर, जबकि क्रूड पाम ऑयल पर 1220 डॉलर प्रति टन अंतिम बार संशोधित किया था। डाटा ने बताया कि उक्त तेलों पर वर्तमान में आयात शुल्क की दर लगभग 38.50 फीसदी है, जो अप्रत्यक्ष  रूप से 45 फीसदी हो जाती है। उन्होंने कहा कि यदि भारत सरकार टैरिफ मूल्य की दरों को संशोधित करती तो उपभोक्ता को खाने के तेल 7 रुपए प्रति किलो तक सस्ते मिल सकते थे। कुईट चेयरमैन ने बताया कि आयातित तेलों पर ड्यूटी घटाने से उपभोक्ता को कोई फायदा नहीं होता है। चूंकि जैसे ही सरकार विदेशी तेलों पर आयात शुल्क कम करती है, तो विदेशी कंपनियां अपने तेल का भाव बढ़ा देती हैं। लिहाजा केन्द्र सरकार को सरसों तेल बाजार से खरीदकर पीडीएस के माध्यम से गरीब लोगों को सब्सिडी देकर बिकवाना चाहिए। जिससे खाद्य तेल की बढ़ती कीमतों अंकुश लग सकेगा। वर्तमान में सरसों तेल 145 रुपए प्रति लीटर के आसपास बेचा जा रहा है। पिछले साल इसके भाव इन्हीं दिनों में 90 रुपए प्रति लीटर के करीब चल रहे थे।