मंडी यार्ड में गुड़ का व्यापार चौपट

सरकार को नहीं मिल रहा मंडी सैस

जयपुर 10 अक्टूबर। मंडी शुल्क के चलते प्रदेश में गुड़ का अनाधिकृत व्यापार इन दिनों खूब फल फूल रहा है। यही कारण है कि मंडी यार्ड (परकोटे के भीतर) में गुड़ की बिक्री घटकर 25 प्रतिशत से भी कम रह गई है। गौरतलब है कि राज्य में गुड़ पर 1.60 फीसदी मंडी शुल्क लागू है। एक ट्रक (15 टन) पर तकरीबन सात हजार रुपए मंडी सैस बनता है। एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में 100 ट्रक गुड़ रोजाना उतरता है। इस प्रकार राज्य सरकार को लाखों रुपए मंडी सैस का नुकसान हो रहा है। मंडी यार्ड से बाहर के अधिकांश व्यापारी बिना मंडी सैस चुकाए धड़ल्ले से व्यापार कर रहे हैं, जबकि इसका खामियाजा मंडी यार्ड के व्यापारियों को भुगतना पड़ रहा है। ज्ञात हो राजस्थान में 250 कृषि उपज मंडियां हैं। इनमें से जो मंडी यार्ड में दुकानें हैं, उन्हीं व्यापारियों से सरकार को मंडी शुल्क मिलता है। जानकारों का कहना है कि गुड़ राजस्थान में उत्पादित कृषि उत्पाद नहीं है। इसकी आवक उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, शामली, सहारनपुर एवं बड़ौत आदि उत्पादन केन्द्रों से होती है। इसे देखते हुए राज्य सरकार द्वारा गुड़ पर मंडी शुल्क वसूलना किसी भी तरह से व्यावहारिक नहीं है।

कहां-कहां हो रहा अनाधिकृत व्यापार

बस्सी, मोहनपुरा, चाकसू, निवाई, केकड़ी, नसीराबाद, बगरू, सांभर, फुलेरा, दूदू, मौजमाबाद, पावटा, मनोहरपुर, प्रतापगढ़, अलवर, अजमेर, पीपाड़सिटी, रैनवाल, गोविंदगढ़, अचरोल, कानोता, पालड़ी मीना, लूनियावास, सांगानेर, सांभरिया (कानोता), दौसा, सिकंदरा एवं लालसोट आदि।