पौल्ट्री उद्योग में 80 फीसदी तक घटी मक्के की डिमांड

मक्का की कीमतें पांच साल के न्यूनतम स्तर पर

जयपुर, 7 अगस्त। कोरोना महामारी के बीच इन दिनों पौल्ट्री उद्योग एवं स्टार्च कंपनियों की खपत 80 फीसदी तक घट जाने से मक्का की कीमतें इन दिनों पांच साल के न्यूनतम स्तर पर आ गई हैं। उत्पादन अधिक होने से भी मक्का में लगातार मंदी का रुख बना हुआ है। इस बार मक्के का उत्पादन बिहार में रिकार्ड होने के साथ-साथ मध्य प्रदेश की पुरानी मक्का एवं उत्तर प्रदेश तथा पंजाब में साठी मक्की  का उत्पादन अधिक हुआ। परिणामस्वरूप मक्की के भाव निरंतर घटते चले गए। जयपुर मंडी में मक्का शुक्रवार को 1240 रुपए प्रति क्विंटल बिकी। राजधानी कृषि उपज मंडी स्थित ब्रोकर शिवरतन माहेश्वरी ने बताया कि हालांकि जयपुर में मक्का दो सप्ताह पूर्व 1170 रुपए प्रति क्विंटल बिक गई थी, लेकिन वर्तमान में यह 70 रुपए सुधरकर 1240 रुपए प्रति क्विंटल पहुंच गई है।

माहेश्वरी ने कहा कि लॉकडाउन का मक्की के व्यापार पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। इसके अलावा बिहार में इस बार मक्के की पैदावार 45 लाख टन से बढ़कर 55 लाख टन पहुंच गई है, जिसके कारण भावों में गिरावट देखने को मिली है। इन सभी कारणों को देखते हुए वर्तमान में मक्का दुर्दशा की स्थिति में पहुंच गई है। बिहार में सूखी मक्का 1150 रुपए तथा नमी वाली मक्का 1050 रुपए प्रति क्विंटल बिकने की खबर है। इन भावों पर भी वहां पर मक्का के लिवाल नहीं हैं। इधर स्टार्च मिलों में स्टार्च की बिक्री घटकर 20 फीसदी रह गई है। यही हालात पौल्ट्री कारखानों के हैं। कोरोना के चलते अंडे एवं चिकन की बिक्री नहीं के बराबर है। यही कारण रहा कि इस बार मक्के पर डबल मार पड़ी है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश की पंजाब डिलीवरी मक्का 1325 रुपए तथा बिहार की पंजाब डिलीवरी मक्का 1365 रुपए प्रति क्विंटल पर सौदे हो रहे हैं।