राज्य बजट में नहीं हटा मंडी सैस, व्यापारियों में रोस

 

जयपुर, 20 फरवरी। मस्टर्ड ऑयल प्रॉड्यूशर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (मोपा) के संयुक्त सचिव अनिल चतर ने कहा कि सरसों तेल उद्योग की लंबे समय से चली आ रही मांग को राज्य सरकार ने एक बार फिर नजर अंदाज किया है। उन्होंने कहा कि बजट चर्चा के दौरान सरसों से 1 प्रतिशत मंडी शुल्क को पूर्णतया समाप्त किया जावे। सरकार यदि मंडी सैस समाप्त करती है तो किसान को उसकी उपज का सही मूल्य मिलेगा तथा किसान सरसों पैदावार की ओर ज्यादाआकर्षित होगा। इसके अलावा राज्य में लगभग 1700 तेल इकाईयां हैं, उन्हें भीलाभ होगा।

इसी प्रकार देशी घी पर लगने वाले 1.60 फीसदी मंडी सैस को नहीं हटाया गया है, जो कि सरकार की ओर से व्यापारियों की प्रति उदासीनता ही कही जाएगी। जयपुर बिल्टकट दलाल एसोसिएशन के प्रवक्ता दिनेश जाजू ने बजट को कारोबारियों के हित का नहीं बताया है।

राजस्थान शुगर एंड खांडसारी एसोसिएशन ऑफ राजस्थान के अध्यक्ष सत्यनारायण चितलांग्या ने बजट को व्यापार विरोधी करार दिया है। चीनी पर सरकार 1.60 फीसदी मंडी सैस वसूल कर रही है। इससे चीनी के अनाधिकृत कारोबार को बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने कहा कि जबकि चीनी का उत्पादन राजस्थान में नहीं होता है। समस्त चीनी की आवक महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक एवं आंध्र प्रदेश आदि राज्यों से होती है। ध्यान रहे देश के किसी भी राज्य में चीनी पर मंडी शुल्क नहीं है। राजस्थान अकेला प्रदेश है जहां पर जीएसटी लागू होने के बाद भी मंडी शुल्क को समाप्त नहीं किया गया है।