तेल तिलहनों का वायदा व्यापार शीघ्र प्रारंभ हो, स्टॉक सीमा भी हटे : मोपा

केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को उद्योग संगठनों ने दिया ज्ञापन

जयपुर, 9 अक्टूबर। मस्टर्ड ऑयल प्रॉड्यूशर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (मोपा) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को तेल तिलहनों पर लागू स्टॉक सीमा हटाने, तेल तिलहनों के बंद पड़े वायदा बाजार को पुन: प्रारंभ करने तथा खाद्य तेलों के उत्पादन में देश को आत्म निर्भर बनाने जैसे मुद्दों को लेकर हाल ही ज्ञापन दिया। सैंट्रल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ ऑयल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड (कुईट) के चेयरमैन सुरेश नागपाल एवं मोपा के संयुक्त सचिव अनिल चतर ने वित्त मंत्री से दिल्ली में मुलाकात कर देश के तेल तिलहन उद्योग की समस्याओं से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि किसानों को पिछले साल सोयाबीन सीड की कीमत 9500 रुपए प्रति क्विंटल मिल रही थी, जिसके भाव वर्तमान में 4500 रुपए प्रति क्विंटल रह गए हैं। इसी प्रकार रबी की प्रमुख फसल सरसों का भाव गत वर्ष किसानों को 8500 रुपए प्रति क्विंटल मिला था, जो कि घटकर वर्तमान में 6000 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास रह गया है। चतर ने कहा कि यदि ट्रेड की समस्याओं का शीघ्र समाधान नहीं किया गया तो किसान इस बार सरसों की अपेक्षित बिजाई नहीं करेगा। ज्ञापन में उल्लिखित तेल तिलहन उद्योग की मांगें संक्षिप्त में इस प्रकार हैं-

1 तेल व तिलहनों पर वर्तमान में लागू स्टॉक सीमा तुरंत प्रभाव से हटाई जावे।

2 नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव एक्सचेंज (एनसीडैक्स) पर तेल तिलहनों का बंद पड़ा वायदा बाजार जल्द ही शुरू किया जाए।

3 तेल तिलहनों पर स्टॉक सीमा होने के कारण देश की 60 फीसदी तेल इकाईयां एवं ट्रेडिंग हाऊस बंद पड़े हैं, जबकि तेल की कीमतों में इन दिनों भारी गिरावट आई है।

4 भारतीय वायदा व्यापार में खाद्य तेल तिलहन वायदा प्रतिबंधित होने से बाजार प्रतिभागी अपने मूल्य जोखिम प्रबंधन से भी वंचित रह गए हैं।

5 जब देश में वायदा बाजार पर प्रतिबंध लगा, तो विदेशी बाजारों की तेजी के कारण हाजिर बाजार में भी तेजी देखने को मिली।

6 ज्ञात हो पूरे विश्व में सभी कृषि जिंसों में वायदा कारोबार किसी भी विपरीत परिस्थिति में भी चालू रहता है।

7 कुईट एवं मोपा ने अपने ज्ञापन में सरकार से मांग की है कि सरसों, सोयाबीन, सोया तेल और क्रूड पाम तेल का वायदा व्यापार शीघ्र शुरू करना चाहिए। इससे किसानों, उपभोक्ताओं एवं उद्योग जगत को राहत मिल सकेगी तथा केन्द्र सरकार के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी।