सरसों तेल निर्यात पर रोक हटाने की अनुशंसा

 

राज्य की 1800 तेल इकाईयों को होगा फायदा

जयपुर, 31 दिसंबर। सरकार ने सरसों तेल के निर्यात पर (अधिकतम 5 लीटर पैकिंग को छोड़कर) अभी भी प्रतिबंध लगाया हुआ है, जबकि देश में सभी खाद्य तेलों के निर्यात पर वर्ष 2008 में लगा प्रतिबंध अप्रैल 2018 में हटा लिया गया था। मणिशंकर ऑयल्स के एमडी डा. मनोज मुरारका ने बताया कि राज्य सरकार ने भारत सरकार को भेजे पत्र में निर्यात पर रोक हटाने की अनुशंसा की है। मुरारका ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि राजस्थान सरसों एवं सरसों तेल का प्रमुख उत्पादक है। देश के कुल सरसों उत्पादन में से करीब 55 प्रतिशत सरसों अकेले राजस्थान में पैदा होती है। राज्य में सूक्ष्म, लघु एवं मध्य उद्योगों की करीब 1800 तेल इकाईयां हैं। उन्होंने कहा कि सरसों कम पानी के उपयोग वाली फसल है और इसका तेल सबसे अनुकूल खाद्य तेलों में गिना जाता है। इसी क्रम में राज्य सरकार ने रेल, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयुष गोयल से सरसों तेल उद्योग को बचाने एवं इसके निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए निराकरण की अपेक्षा की है।

इस बीच सरकार द्वारा किसानों को बढ़िया गुणवत्ता के तिलहन की खेती करने के लिए इंसेंटिव देने की योजना का कारोबारियों ने स्वागत किया है। इंसेंटिव देने से राजस्थान में सरसों की पैदावार में और इजाफा होगा तथा किसानों में सरसों पैदा करने की रुचि बढ़ेगी। गौरतलब है कि भारत को इसके जरिये कुकिंग ऑयल का आयात घटाने में मदद मिलेगी। उल्लेखनीय है कि भारत सालाना 70 हजार करोड़ रुपए का खाद्य तेल आयात करता है। कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइसेज (सीएसीपी) ने ज्यादा तेल निकालने वाली किस्में अपनाने वाले किसानों के लिए अधिक कीमत तय करने का हाल ही सुझाव दिया है। देश में हर साल सरसों एवं अलसी का 90 लाख टन उत्पादन होता है। यह देश में होने वाले कुल तिलहन उत्पादन का 28 फीसदी है।