बिनौला का उत्पादन बढ़ा, खल में लंबी तेजी के आसार नहीं

राजस्थान एवं गुजरात में मक्के की खल का हो रहा ज्यादा उपयोग

जयपुर, 23 नवंबरदुधारू पशुओं को इन दिनों मक्की खल खिलाने का चलन  राजस्थान एवं गुजरात में बढ़ता जा रहा है। यूं भी मक्का की खल बिनौला खल के मुकाबले सस्ती है। हालांकि सभी उत्पादक केन्द्रों पर बिनौला का उत्पादन इस बार अधिक होने की खबरें आ रही हैं। परिणामस्वरूप बिनौला खल में लंबी तेजी के आसार नहीं हैं। जयपुर मंडी में बुधवार को बिनौला खल 3500 से 3550 रुपए प्रति क्विंटल पर स्थिरता लिए हुए थी। जानकारों के मुताबिक कपास से इस बार बिनौला की निकासी करीब 3.50 फीसदी अधिक बैठ रही है। मंडियों में कपास की गांठें भी अधिक आने के समाचार हैं। गौरतलब है कि राजस्थान एवं गुजरात में मक्के की खल का उपयोग ज्यादा होने लगा है। यही कारण है कि बिनौला खल की बिक्री प्रभावित हुई है। उधर वायदा बाजार में बड़े सटोरियों ने काफी माल बेच दिया है, जो आगे चलकर डिलीवरी के लिए या डिफरेंस के लिए बाजार को तोड़ेंगे। यही कारण है कि मंडियों में बाजार धीरे-धीरे टूटने लगे हैं। इस बीच आदिलाबाद एवं अमरावती लाइन में बिनौला खल का उत्पादन लगातार बढ़ता जा रहा है। उत्पादन केन्द्रों पर बिनौला खल का स्टॉक भी ज्यादा होने की खबर है। मंडी के जानकारों का कहना है कि वायदा बाजार को सटोरिये बीच-बीच में तेज करने की कोशिश करेंगे। मगर बड़े सटोरियों के माल बिके हुए हैं। लिहाजा बिनौला खल में लंबी तेजी नहीं आ सकेगी।