तेल तिलहनों की फ्यूचर ट्रेडिंग फिर से शुरू करने का अनुरोध

न्यूनतम समर्थन मूल्य से 500 रुपए क्विंटल नीचे बिक रही सरसों

जयपुर, 17 मार्च। मस्टर्ड ऑयल प्रॉड्यूशर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (मोपा) ने तेल तिलहनों के फ्यूचर ट्रेडिंग (वायदा बाजार) को फिर से प्रारंभ करने की मांग की है। भारत सरकार में उपभोक्ता मामलात विभाग के राज्य मंत्री अश्विनी चौबे को दिए ज्ञापन में कहा है कि सरसों के वायदा बाजार पर लगा प्रतिबंध तुरंत प्रभाव से हटाया जावे। मोपा ने कहा कि फ्यूचर ट्रेडिंग किसान, ट्रेडर्स, उद्योग एवं उपभोक्ता के लिए एक प्राइस आउट लुक का साधन है। मोपा अध्यक्ष बाबूलाल डाटा, सैंट्रल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (कुईट)  चेयरमैन सुरेश नागपाल एवं क्रॉप एस्टीमेट कमेटी के चेयरमैन अनिल चतर ने ज्ञापन में कहा है कि देश में फ्यूचर ट्रेडिंग बंद होने के बाद व्यापार जगत में अंधेरा छा गया है। किसान को यह पता ही नहीं चलता कि उसका माल किस भाव बिकेगा। देश के तेल तिलहन उद्योग से जुड़े लोगों को यह जानकारी नहीं होती कि उसे किस भाव में कच्चा माल मिलेगा और किस भाव में पक्का माल बिकेगा। चतर ने कहा कि ऐसी स्थिति में हम विदेशों में चल रही फ्यूचर ट्रेडिंग पर आधारित हो गए हैं। वर्तमान में किसान को सरसों की लागत 4839 रुपए प्रति क्विंटल पड़ती है, जबकि मंडियों में सरसों का भाव 5000 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है। किसानों को उसकी लागत भी ठीक से नहीं मिल रही है। वर्तमान में सरसों का एमएसपी 5450 रुपए प्रति क्विंटल है। इस प्रकार सरसों सीड एमएसपी से भी करीब 500 रुपए प्रति क्विंटल नीचे बिक रही है। मोपा ने ज्ञापन में सुझाव दिया है कि तेल, तिलहन की फ्यूचर ट्रेडिंग पर लगा प्रतिबंध तुरंत प्रभाव से हटाया जाए तथा खाद्य तेलों पर आयात शुल्क काफी कम है, इसे 20 फीसदी और बढ़ाया जावे।