रोलर फ्लोर मिलों को साप्ताहिक 300 टन गेहूं दे सरकार

अभी टेंडर द्वारा सप्ताह में 100 टन गेहूं ही मिल रहा, जो कि काफी कम

जयपुर, 18 सितंबर। केन्द्र सरकार द्वारा रोलर फ्लोर मिलों को दिए जाने वाले गेहूं में तीन गुना बढ़ोतरी करनी होगी। तभी गेहूं की तेजी को कुछ नियंत्रण में लाया जा सकेगा। वर्तमान सरकार रोलर फ्लोर मिलों को टेंडर द्वारा 100 टन गेहूं सप्ताह में एक बार मुहैया करवा रही है। जो कि काफी कम है। जयपुर मिनी फ्लोर मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेश चौपड़ा ने कहा कि इसे बढ़ाकर प्रति सप्ताह 300 टन किया जाना चाहिए। चौपड़ा ने बताया कि अभी मैदा व सूजी की ग्राहकी कमजोर है, आगे त्योहारी डिमांड रहेगी। उस समय गेहूं एवं गेहूं उत्पादों की तेजी को रोका नहीं जा सकेगा। यद्दपि केन्द्र सरकार ने दिल्ली में साप्ताहिक टेंडर में गेहूं की बिक्री 3000 टन से बढ़ाकर 6000 टन कर दी है, मगर नए-नए रोलर फ्लोर मिलों के रजिस्ट्रेशन होने से मिलों को सरकार से मिलने वाले गेहूं की मात्रा अपर्याप्त साबित हो रही है। आटा निर्माताओं का कहना है कि यदि केन्द्रीय पूल में खपत के अनुरूप गेहूं है, तो प्रति रोलर फ्लोर मिल को 100 टन की बजाए उसे बढ़ाकर 300 टन साप्ताहिक कर देना चाहिए। इससे गेहूं के बढ़ते भावों पर काबू पाया जा सकेगा। जयपुर मंडी में गेहूं मिल डिलीवरी दड़ा नैट की कीमतें सोमवार को 2560 रुपए प्रति क्विंटल पर मजबूती लिए हुए थीं। नया गेहूं आने में अभी 8 महीने का समय बाकी है। लिहाजा सरकार को पूर्व नियोजित ढंग से पहले ही टेंडर के रूप में रोलर फ्लोर मिलों को दिए जाने वाले गेहूं देने की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। गौरतलब है कि इस बार केन्द्रीय पूल में गत वर्ष के 187 लाख टन से अधिक 262 लाख टन तक गेहूं की खरीद की गई है। हालांकि सरकार का खरीद लक्ष्य 441 लाख टन का था। वह पूरा नहीं हो सका। इसका मुख्य कारण ये रहा कि बड़ी कंपनियों ने सीजन के प्रारंभ में ही मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब एवं उत्तर प्रदेश से ऊंचे भावों पर गेहूं खरीद लिया। परिणामस्वरूप सरकार को 2125 रुपए प्रति क्विंटल के भाव में गेहूं नहीं मिल पाया। लिहाजा खरीद लक्ष्य अधूरा रह गया।