विदेशी खाद्य तेलों पर 20 प्रतिशत ड्यूटी तुरंत प्रभाव से बढ़ाई जावे

उत्पादन बेपड़ता होने से देश की 60 फीसदी सरसों तेल इकाईयां बंद

जयपुर, 11 जनवरी। सरसों तेल का उत्पादन बेपड़ता होने से देश में इन दिनों अधिकांश सरसों तेल मिलें बंद हो गई हैं। वर्तमान में राजस्थान सहित सभी राज्यों में सरसों तेल का पड़ता नहीं लगने से तकरीबन 60 फीसदी सरसों तेल इकाईयों में उत्पादन ठप पड़ा हुआ है। जानकारों का कहना है कि सरकार ने वर्ष 2023 में खाद्य तेलों के आयात का रिकार्ड बना दिया है। इस साल भारत का खाद्य तेलों का आयात बढ़कर 164.66 लाख टन तक पहुंच गया है। जो कि पिछले साल की समान अवधि में 145.29 लाख टन था। इस प्रकार खाद्य तेलों के आयात में 17.36 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। गौरतलब है कि विदेशी तेलों के आयात पर लगने वाला शुल्क लगातार घट रहा है। रिफाइन तेल पर सेस आदि को मिलाकर यह शुल्क अब 13.55 प्रतिशत तक सिमट गया है, जो कभी 17.5 प्रतिशत हुआ करता था। कच्चे तेल पर आयात शुल्क 5.5 प्रतिशत तक रह गया है। मस्टर्ड ऑयल प्रॉड्यूशर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (मोपा) के अध्यक्ष बाबूलाल डाटा एवं संयुक्त सचिव अनिल चतर ने केन्द्र सरकार से अपील की है कि आयातित खाद्य तेलों पर ड्यूटी बढ़ाकर 20 फीसदी तुरंत प्रभाव से की जानी चाहिए। परिणामस्वरूप लोकल तेल को सपोर्ट मिले, जिससे यहां की तेल मिलों में उत्पादन शुरू हो सके।

विदेशी तेलों में भी आ रही गिरावट

तेलों में गिरावट का एक और बड़ा कारण यह है कि विदेशी बाजारों में भी खाद्य तेलों के भाव नीचे आ गए हैं। इस कारण भी घरेलू बाजार में खाद्य तेलों के भाव गिरे हैं। चतर ने बताया कि भारी मात्रा में आयात होने के कारण भारत के न केवल विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट हुई है, अपितु घरेलू तेल उद्योग पूरी तरह बरबाद हो गया है। घरेलू किसानों को सरसों, सोयाबीन और कपास आदि फसलों के सही भाव नहीं मिल रहे। यहां तक की लागत भी पूरी नहीं हो रही है। ऐसे में भारत को तेल तिलहन में आत्म निर्भर बनाने की बातें समझ से बाहर हैं। हालांकि अब बहुत देर हो चुकी है। मगर सरकार चाहे तो विदेशी तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाकर कुछ मदद अवश्य कर सकती है।

उपभोक्ता मांग से सरसों एवं तेल में मामूली सुधार

इस बीच उपभोक्ता मांग निकलने से खाद्य तेलों में नीचे स्तर से कुछ सुधार हुआ है। पिछले एक माह में खाने के तेलों में 15 प्रतिशत तक की मंदी बाजार में देखने को मिली थी, जो कि बीते एक सप्ताह से पाइपलाइन खाली होने के कारण तेलों में चार प्रतिशत तक सुधार हुआ है। जयपुर मंडी में फिलहाल सरसों तेल मिल डिलीवरी 42 प्रतिशत तेल कंडीशन का भाव 5725 रुपए प्रति क्विंटल तथा सरसों तेल 103 रुपए प्रति किलो बिक रहा है।