सावों की डिमांड आने से गेहूं 100 रुपए प्रति क्विंटल महंगा

थोक मंडियों में 2650 रुपए पहुंचा मिल डिलीवरी दड़ा, और तेजी के आसार

जयपुर, 9 जनवरी। ब्याह शादियों एवं मकर संक्रांति की ताजा डिमांड निकलने से स्थानीय थोक मंडियों में गेहूं फिर महंगा हो गया है। तीन-चार दिन के अंतराल में मिल डिलीवरी दड़ा गेहूं 100 रुपए उछलकर मंगलवार को 2650 रुपए प्रति क्विंटल बिक गया। राज्य की कच्ची मंडियों में भी लूज गेहूं की कीमतें 2500 रुपए प्रति क्विंटल पर मजबूत बोली जा रही हैं। पिछले दिनों सरकार द्वारा की गई सख्ती का भी गेहूं एवं आटे की कीमतों पर खास असर नहीं दिख रहा है। केन्द्र सरकार ने पिछले साल जून में गेहूं सस्ता करने के लिए गेहूं पर स्टॉक लिमिट लगाई थी। मगर इस स्टॉक लिमिट के बाद गेहूं के भावों में उल्लेखनीय गिरावट नहीं आ सकी है। जयपुर स्थित मित्तल दलिया के निर्माता मुकुल मित्तल ने कहा कि सरकार द्वारा खुले बाजार में की जा रही गेहूं की बिक्री भी इसको सस्ता करने में कामयाब होते नहीं दिख रही है। मित्तल ने बताया कि आगे त्योहारी डिमांड बढ़ने पर गेहूं और महंगा हो सकता है। गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने पिछले साल 12 जून को स्टॉक लिमिट लगाई थी। केन्द्रीय उपभोक्ता मामलों के विभागीय आंकड़ों के अनुसार गेहूं की औसत खुदरा कीमत उस समय 29.16 रुपए प्रति किलो थी। जानकारों का कहना है कि बीते साल सरकार की उम्मीद से कम गेहूं का स्टॉक हुआ है। यही कारण है कि उत्पादक मंडियों में गेहूं की आवक भी पिछले साल से कम हो रही है। इसका मतलब यह है कि सरकारी दावे के उलट या तो गेहूं की पैदावार कम है या फिर इसकी जमाखोरी हुई है। ऐसे में आगे त्योहारों पर गेहूं की मांग बढ़ने पर इसकी कीमतों में तेजी आ सकती है। हालांकि जानकार बताते हैं कि गेहूं में

और तेजी सरकार की आगे की नीतियों पर भी निर्भर करेगी।