मंडियों में बढ़ने लगी नए गुड़ की आवक, 500 रुपए प्रति क्विंटल टूटा

मुजफ्फरनगर मंडी में 12 हजार मन गुड़ की प्रतिदिन आवक

जयपुर, 31 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश की मुजफ्फरनगर तथा बरेली आदि उत्पादक मंडियों में इन दिनों नए गुड़ की आवक निरंतर बढ़ती जा रही है। जयपुर मंडी में भी सात-आठ गाड़ी गुड़ प्रतिदिन आ रहा है। नए गुड़ की आवक होने के साथ ही इसकी कीमतों में मंदी शुरू हो गई है। एक-डेढ़ सप्ताह के दौरान ही गुड़ के भावों में 500 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई है। जयपुर मंडी में ढैया गुड़ मंगलवार को 3400 से 3450 रुपए प्रति क्विंटल थोक में बिका। इसी प्रकार लड्‌डू गुड़ 3750 से 3800 रुपए तथा अच्छी किस्म के ढैया गुड़ की कीमत 3700 से 3800 रुपए प्रति क्विंटल चल रही है। मुजफ्फरनगर मंडी में रोजाना 12 हजार मन गुड़ की आवक होने के समाचार हैं। ज्ञात हो भारत में जबसे गन्ने का उत्पादन प्रारंभ हुआ तभी से इसका उपयोग गुड़ उत्पादन के निमित्त किया जा रहा है। भारतीय वैदिक कालीन इतिहास में गन्ने की खेती एवं विभिन्न अवसरों पर विभिन्न प्रकार के गुड़ के उपयोग के विषय में वर्णन आता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सन् 1920 से पहले गन्ने की खेती केवल गुड़ एवं खांडसारी उद्योग के लिए ही की जाती थी। वर्तमान में हमारे देश में तकरीबन 80 लाख टन गुड़ विभिन्न रूपों में प्रतिवर्ष उत्पादित किया जाता है। इसमें लगभग 56 फीसदी गुड़ अकेले उत्तर प्रदेश में बनाया जाता है। देश के अन्य प्रदेशों में भी गुड़ बड़े पैमाने पर उत्पादित किया जाता है। गुड़ हमारे भोजन का आवश्यक अंग होने के कारण यह वर्ष भर उपयोग किया जाता है। गुड़ औषधीय गुणों का भंडार भी कहलाता है। इस बीच महाराष्ट्र से इस बार चीनी उत्पादन को लेकर निराशाजनक खबर आ रही है। महाराष्ट्र में इस साल कम बारिश होने के कारण गन्ने के उत्पादन पर व्यापक असर पड़ा है। जाहिर है गन्ने का उत्पादन कम होगा तो चीनी मिलों के पास पर्याप्त मात्रा में गन्ना नहीं पहुंच पाएगा। कयास लगाए जा रहे हैं कि बारिश की कमी के चलते पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष करीब 25 प्रतिशत तक चीनी उत्पादन में कमी आ सकती है। चीनी उत्पादन में महाराष्ट्र भारत का अग्रणी राज्य है। यहां पर देश का दो-तिहाई हिस्से का चीनी उत्पादन होता है।