आम आदमी की पकड़ से बाहर हो रहे खाने के तेल

छह माह में 40 रुपए प्रति किलो महंगा हुआ मस्टर्ड ऑयल

नई दिल्ली, 14 अक्टूबर। निरंतर तेजी आने से खाने के तेल इन दिनों आम आदमी की पकड़ से बाहर होते जा रहे हैं। इसी साल सीजन पर मार्च अप्रैल में 75 रुपए प्रति किलो बिकने वाला सरसों का तेल वर्तमान में 115 रुपए प्रति किलो थोक में पहुंच गया है। यह तेजी सिर्फ छह माह के दौरान आई है। इसी प्रकार सोयाबीन रिफाइंड तेल छह माह के अंतराल में 20 रुपए उछलकर 75 से 95 रुपए प्रति किलो तथा पामोलिन तेल 55 रुपए से बढ़कर 80 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। हालांकि सर्वाधिक तेजी सरसों तेल में दर्ज की गई है। इसकी कीमतें छह माह में 40 रुपए प्रति किलो महंगी हुई हैं। बता दें ब्रांडेड एगमार्क सरसों तेल के भाव बंगाल, बिहार एवं असम में रिटेल में 140 से 150 रुपए प्रति लीटर पहुंच गए हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में भी ब्रांडेड सरसों तेल 150 रुपए प्रति किलो के आसपास बेचा जा रहा है। ऐसा लगता है सरकार का तेलों में आ रही लगातार तेजी की ओर कोई ध्यान नहीं है। यदि ऐसा होता तो आयातित तेलों पर ड्यूटी घटाने जैसे सरकारी प्रयास तो किए ही जा सकते थे। उधर दिल्ली के लॉरेंस रोड पर सरसों लूज के दाम बुधवार को 5300 से 5400 रुपए प्रति क्विंटल पर मजबूत बोले जा रहे थे। इस बीच मध्य प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन की दैनिक आवक सवा तीन लाख बोरी पहुंच गई है। लूज भाव 3500 से 4000 रुपए प्रति क्विंटल बोले जा रहे हैं। महाराष्ट्र में पौने दो लाख बोरी तथा राजस्थान की उत्पादक मंडियों में एक लाख 15 हजार बोरी सोयाबीन प्रतिदिन उतर रही है। यहां पर भी सोयाबीन के भाव 3500 से 4000 रुपए प्रति क्विंटल चल रहे हैं।