मंदी की तपिस में ज्वैलर्स पिघलाने लगे रेडीमेड गहने

पहले केवल पुराने गहने ही पिघलाए जाते थे मगर अब कई आभूषण निर्माताओं ने गहनों का नया स्टॉक भी पिघलाना शुरू कर दिया है

मुंबई, 7  जुलाई। (ब्यूरो रिपोर्ट) मंदी की तपिश झेल रहे आभूषण निर्माताओं ने अपने पास जमा गहनों का भंडार कम करने के लिए उन्हें पिघलाना शुरू कर दिया है। अभी तक ज्वैलर्स ग्राहकों से मिले पुराने गहने ही गलाते थे, मगर अब नए गहने भी पिघलाए जा रहे हैं। इससे गहने बनाने में आए गढ़ाई के खर्च की चपत लग रही है मगर सराफ उसके लिए भी तैयार हैं। कई आभूषण निर्माता ग्राहकों की पसंद के मुताबिक अलग-अलग तरह के गहने लंबे समय तक अपने पास रखते थे, लेकिन बिक्री नहीं होने की वजह से अब उन्हें लंबे समय तक रखना मुश्किल हो गया है।

जानकारों का कहना है कि पिघलाने के सोने का दो तरह का कबाड़ आ रहा है। पहले केवल पुराने गहने ही पिघलाए जाते थे मगर अब कई आभूषण निर्माताओं ने गहनों का नया स्टॉक भी पिघलाना शुरू कर दिया है। इससे 2020 में सोने के कबाड़ की आपूर्ति बढ़कर 140 टन हो सकती है, जो पिछले साल 119 टन थी। पहले कम मात्रा में गहने पिघलाए जाते थे, इसलिए दुकानों और आसपास के केंद्रों में ही पुराना सोना पिघला दिया जाता था। मगर अब पिघलाने का काम इतने बड़े स्तर पर हो रहा है कि उन्हें गोल्ड रिफाइनरियों में भेजा जा रहा है।

ग्राहकों ने सराफा बाजार से दूरी ही बना ली है और जो लोग आ रहे हैं वे भी बहुत नापतोल कर खरीदारी कर रहे हैं। सराफों और आभूषण निर्माताओं के पास पहले ही अच्छा खासा स्टॉक था और शादी-ब्याह  के सीजन की आस में उन्होंने गहने बनाने के लिए अच्छा खासा स्वर्ण ऋण भी लिया था। इसके ब्याज का बोझ उन्हें परेशान कर रहा है। इसीलिए छोटे सराफ ही नहीं बड़ी संगठित आभूषण शृंखलाएं भी पुराने गहने बेच रही हैं। छोटे सराफ अब गहने पिघलाना शुरू कर सकते हैं, ताकि सोने की ऊंची कीमत की वजह से गढ़ाई की चोट कुछ हद तक कम हो जाए। बड़ी आभूषण शृंखलाएं पहले ही कम गहने रखने लगी थीं। उनके लिए सहूलियत यह थी कि एक स्टोर पर कोई खास डिजाइन नहीं होने पर वे दूसरे स्टोर से मंगा लिया करती थीं। मगर छोटे सराफा स्टोर वालों के पास यह सुविधा नहीं होती है और उन्हें भारी मात्रा में गहने रखने पड़ते हैं। ऐसे सराफों ने जरूरत से ज्यादा गहनों को पिघलाने का काम शुरू कर दिया है।