राज्य में बढ़ रहा गुड़ का अनाधिकृत कारोबार

मंडी यार्ड से बाहर के व्यापारी नहीं चुका रहे मंडी सैस

जयपुर, 3 अक्टूबर। प्रदेश में गुड़ पर मंडी शुल्क होने से इन दिनों गुड़ का अनाधिकृत कारोबार निरंतर फल फूल रहा है। मंडी यार्ड से बाहर के अधिकांश व्यापारी बिना मंडी सैस चुकाए गुड़ की बिक्री कर रहे हैं। परिणामस्वरूप राज्य सरकार को राजस्व का भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में गुड़ पर 1.60 प्रतिशत मंडी शुल्क लागू है। एक ट्रक गुड़ (15 टन) पर अनुमानित सात हजार रुपए मंडी सैस बनता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य में प्रतिदिन करीब 100 ट्रक गुड़ की आवक होती है। इस प्रकार सरकार को लाखों रुपए के राजस्व से हाथ धोना पड़ रहा है। मंडी यार्ड से बाहर के काफी व्यापारी बिना मंडी टैक्स चुकाए धड़ल्ले से कारोबार कर रहे हैं। और इसका खामियाजा मंडी यार्ड के व्यापारियों को उठाना पड़ रहा है।

आपको बता दें राजस्थान में लगभग 250 कृषि उपज मंडियां हैं। मंडी यार्ड में जो दुकानें हैं उन्हीं व्यापारियों से राज्य सरकार को 1.60 फीसदी मंडी सैस मिलता है। ज्ञात रहे गुड़ राजस्थान में उत्पादित कृषि उत्पाद नहीं है। इसकी आवक उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, शामली, सहारनपुर एवं बड़ौत आदि उत्पादन केन्द्रों से होती है। इसे देखते हुए राज्य सरकार द्वारा गुड़ पर मंडी शुल्क वसूलना किसी भी तरह से न्याय संगत नहीं है।

किन स्थानों पर हो रहा अनाधिकृत व्यापार

मोहनपुरा, चाकसू, बस्सी, निवाई, केकड़ी, बगरू, नसीराबाद, सांभर, फुलेरा, दूदू, मौजमाबाद, मनोहरपुर, पावटा, अलवर, प्रतापगढ़, अजमेर, किशनगढ़, पीपाड़सिटी, रैनवाल, गोविंदगढ़, कानोता, अचरोल, पालड़ी मीना, लूनियावास, सांगानेर, सांभरिया (कानोता), दौसा, सिकंदरा, महुआ, मंडावर एवं लालसोट आदि।