प्लांटों में घट रहा वनस्पति एवं खाद्य तेलों का स्टॉक

त्योहारी डिमांड निकली तो फिर महंगे होंगे खाने के तेल

जयपुर, 8 अगस्त। सरसों एवं सरसों तेल में इन दिनों फिर से तेजी देखने को मिल रही है। सरसों मिल डिलीवरी 42 प्रतिशत तेल कंडीशन के भाव सोमवार को 100 रुपए उछलकर 6925 रुपए प्रति क्विंटल पहुंच गए हैं। एगमार्क सरसों तेल के भाव भी बढ़ाकर बोले गए। कांडला पोर्ट पर क्रूड पाम ऑयल की तंगी के चलते वनस्पति घी में भी मजबूती के आसार बताए जा रहे हैं। श्री हरी एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चीफ मार्केटिंग ऑफीसर शैलेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि मिलों में तेलों का स्टॉक घटता जा रहा है। त्योहारी डिमांड को देखते हुए वनस्पति घी तथा खाने के तेलों में फिर से तेजी बन सकती है। इस बीच सरसों उत्पादक किसानों को वर्तमान में पहले जैसा फायदा नहीं मिल पा रहा है। लगभग एक वर्ष पूर्व सरसों सीड की कीमतें 8500 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास थीं, जबकि वर्तमान में 7000 रुपए प्रति क्विंटल के करीब चल रही हैं। जबकि सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य एक साल में ही 400 रुपए बढ़कर 5050 रुपए प्रति क्विंटल पहुंच गया है। यानी ओपन मार्केट में इस साल सरसों के दाम बढ़ने की बजाए पिछले की तुलना में घट गए हैं। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार आगामी हफ्तों में किसान ज्यादा कीमत की उम्मीद में अपने स्टॉक को होल्ड कर सकता है। दरअसर पिछले दो साल से किसानों को सरसों से अच्छी कमाई हुई है। मगर कीमतों में आई हाल की गिरावट ने उनके बीच दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। यद्दपि ओपन मार्केट में सरसों के दाम अब भी एमएसपी से ऊपर हैं। जानकारों का कहना है कि इस साल सरसों की आवक ज्यादा है। क्योंकि सरसों की पैदावार पहले से काफी ज्यादा हुई है। साथ ही खाद्य तेलों के दामों में कमी को लेकर उठाए गए सरकारी कदमों का भी असर तिलहन बाजार पर दिखाई दे रहा है। गौरतलब तलब है कि केन्द्र सरकार ने सालाना 20-20 लाख टन क्रूड सोयाबीन ऑयल और सूरजमुखी तेल के आयात पर आयात शुल्क और एग्रीकल्चर सेस को मार्च 2024 तक खत्म कर दिया है। पाम ऑयल का भी खूब इंपोर्ट हो रहा है। इस कारण भी सरसों सीड के दामों पर पिछले दिनों दबाव पड़ा है।