आटा मिलों को एफसीआई का गेहूं मिलने से आटा, मैदा में गिरावट

केन्द्रीय पूल में स्टॉक कम होने से आई थी गेहूं में तेजी

जयपुर, 15 फरवरीआटा मिलों को एफसीआई का गेहूं मिलने से गेहूं एवं इसके उत्पादों में तेजी थम गई है। केन्द्र सरकार द्वारा यही कदम दिसंबर माह में ही उठा लिया जाता, तो गेहूं में रिकार्ड महंगाई से बचा जा सकता था। जयपुर मंडी में मिल डिलीवरी दड़ा गेहूं के भाव बुधवार को 2500 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास रह गए हैं। ज्ञात हो केन्द्रीय पूल में गत वर्ष की समान अवधि की तुलना में सरकार के अनुसार गेहूं का स्टॉक 40 फीसदी के करीब कम है। इसका कारण भी सब जानते हैं कि सीजन में ही निर्यातकों की चौतरफा लिवाली के चलते मंडियों में गेहूं के भाव उछल गए थे। परिणामस्वरूप सरकार को 2015 रुपए प्रति क्विंटल एमएसपी पर गेहूं लक्ष्य से काफी कम मिल सका था। मित्तल दलिया के निर्माता मुकुल मित्तल ने कहा कि सरकार को पूरे सीजन में केन्द्रीय पूल के लिए कुल मिलाकर 188 लाख टन गेहूं ही  मिल पाया था। यही कारण रहा कि जनवरी में गेहूं की कीमतें 3200 रुपए प्रति क्विंटल के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गईं थीं। बाद में सरकार ने 2 फरवरी को खुले बाजार में टेंडर के माध्यम से गेहूं की बिक्री शुरू कर दी, जिससे गेहूं के भाव उतरना शुरू हो गए। व्यापारियों के अनुसार एफसीआई आज भी गेहूं के टेंडर जारी कर रही है। लिहाजा गेहूं के भाव और घट सकते हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार दो महीने पहले टेंडर द्वारा गेहूं की बिक्री करती तो गेहूं की रिकार्ड महंगाई को रोका जा सकता था।