डिमांड निकलते ही नवरात्रा में और महंगा होगा गेहूं

रोलर फ्लोर मिलों को टेंडर द्वारा साप्ताहिक 300 टन गेहूं दिया जाए

जयपुर, 11 अक्टूबर। भारतीय खाद्य निगम द्वारा रोलर फ्लोर मिलों को क्षमता के अनुरूप गेहूं नहीं दिए जाने से गेहूं की कीमतों में आगे और तेजी  सुनिश्चित है। उत्पादक मंडियों में गेहूं की आवक निरंतर घटती जा रही है। नवरात्रा में मैदा एवं सूजी की डिमांड आते ही गेहूं एवं गेहूं उत्पादों के भाव तेज हो जाएंगे। वर्तमान में जयपुर मंडी में मिल डिलीवरी दड़ा गेहूं नैट 2545 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास मजबूत बिक रहा है। लक्ष्मीभोग आटा, मैदा, सूजी एवं बेसन के निर्माता नरेश चौपड़ा ने कहा कि हालांकि सरकार गेहूं की तेजी को नियंत्रित करने के लिए समुचित प्रयास कर रही है। सरकार द्वारा रोलर फ्लोर मिलों को टेंडर के माध्यम से 100 मीट्रिक टन गेहूं साप्ताहिक दिया जा रहा है। जो कि प्रासेसिंग क्षमता के अनुरूप नहीं है। चौपड़ा ने कहा कि इसे बढ़ाकर 300 टन साप्ताहिक कर दिया जाना चाहिए। उधर दिल्ली में सरकार ने साप्ताहिक टेंडर में गेहूं की बिक्री 3000 टन से बढ़ाकर 5000 टन कर दी है। तथा तुरंत प्रभाव से 18 लाख मीट्रिक टन गेहूं 13 सप्ताह के लिए खुले बाजार में बिक्री हेतु और रिलीज कर दिया गया है। मगर नए-नए रोलर फ्लोर मिलों के रजिस्ट्रेशन होने लगे हैं, जिससे वह गेहूं बंट जा रहा है। नरेश चौपड़ा ने सरकार को सुझाव दिया है कि यदि केन्द्रीय पूल में खपत के अनुरूप गेहूं है, तो रोलर फ्लोर मिलों को जो 100 टन गेहूं टेंडर में दिया जाता है, उसे बढ़ाकर 300 टन साप्ताहिक कर दिया जाए। संभवतया सरकार के इस फैसले से गेहूं एवं गेहूं उत्पादों की बढ़ती महंगाई पर काबू पाया जा सकेगा। वर्तमान में गुजरात, महाराष्ट्र के साथ-साथ दक्षिण भारत की रोलर फ्लोर मिलों की गेहूं में लगातार लिवाली चल रही है। परिणामस्वरूप उत्पादक मंडियों में गेहूं के भाव 15 से 20 रुपए प्रति क्विंटल और उछल गए हैं। बता दें नया गेहूं आने में अभी सात-आठ महीने का समय बाकी है। लिहाजा गेहूं की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए सरकार को अभी से ही कारगर कदम उठाने होंगे।