देश में 70 फीसदी रिफाइंड एडीबल ऑयल का आयात

फ्यूचर ट्रेडिंग से मिल रहा सट्टा प्रवृति को बढ़ावा

जयपुर, 26 मई। देश में प्रति वर्ष खाद्य तेल की खपत बढ़ रही है, जबकि तिलहन उत्पादन उसके अनुरूप नहीं बढ़ पा रहा है। अभी भी हमें करीब 70 फीसदी कैमिकली प्रोसेस्ड् रिफाइंड एडीबल ऑयल विदेशों से आयात करना पड़ रहा है। परिणामस्वरूप आयातित तेलों पर भारत सरकार को एक लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ रही है। नेशनल ऑयल्स एंड ट्रेड एसोसिएशन के सचिव डा. मनोज मुरारका ने कहा कि देश में तिलहन उत्पादन बढ़ने से आयातकों एवं सरकारी बैंकों को हजारों करोड़ रुपए की बचत होगी। भारत सरकार के खाद्य विभाग, सार्वजनिक वितरण विभाग, उपभोक्ता मामले तथा कृषि मंत्रालय के सचिवों के साथ एक उच्च स्तरीय वीसी में मुरारका ने कहा कि पैकिंग मैटेरियल में काम आने वाले कच्चे माल की कीमतें भी इन दिनों दोगुनी हो गई हैं। इस कारण भी तेलों के भावों में मजबूती को बल मिल रहा है। उन्होंने कहा कि सरसों एवं सरसों तेल पर हो रही फ्यूचर ट्रेडिंग पर तुरंत प्रभाव से रोक लगना जरुरी है। क्योंकि फ्यूचर ट्रेडिंग से सट्‌टा प्रवृति को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा सरकार स्वदेशी तेलों को जीएसटी से मुक्त कर दे, तो उपभोक्ता को और सस्ता तेल मिल सकेगा। गौरतलब है कि विदेशी तेलों के मुकाबले स्वदेशी तेलों में सेचुरेटेड फैट्स की मात्रा काफी कम होती है। मिसाल के तौर पर पामोलिन मे 40 प्रतिशत तक सेचुरेटेड फैट होता है, जबकि सरसों तेल में यह 6 से 7 फीसदी ही है।