पैदावार कम होने से चिरोंजी के भाव बढ़े, और तेजी के संकेत

उड़ीसा के कालाहांडी, मध्य प्रदेश की बैतूलगंज-शहडोल लाइन में होती है फसल

जयपुर, 16 अगस्त। देश में इस साल चिरोंजी की पैदावार पिछले साल के मुकाबले काफी कमजोर बताई जा रही है। स्टॉकिस्टों के पास चिरोंजी का पुराना स्टॉक भी नहीं के बराबर रह गया है। यही कारण है कि चिरोंजी में इस बार अच्छी तेजी के आसार नजर आ रहे हैं। वर्तमान में जयपुर मंडी में चिरोंजी की कीमतें मंगलवार को 1200 रुपए प्रति किलो पर तेज बोली जा रही थीं।। हालांकि चिरोंजी में यह मजबूती पिछले एक सप्ताह पूर्व ही आ चुकी थी। उल्लेखनीय है कि देश में चिरोंजी की फसल उड़ीसा के कालाहांडी एवं मध्य प्रदेश की बैतूलगंज-शहडोल लाइन में होती है। इसके अलावा झारखंड, उड़ीसा एवं छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती जंगलों में भी चिरोंजी की पैदावार होती है। कुछ माल सोनभद्र तथा ओबरा लाइन से भी आता है। इस बार मध्य प्रदेश एवं उड़ीसा में गुठली का स्टॉक बहुत कम बचा है। उत्तर भारत में भी चिरोंजी का स्टॉक ज्यादा नहीं होने से इसमें शीघ्र ही अच्छी तेजी आने के आसार बन रहे हैं।

इस बीच अमरवाड़ा, बैतूलगंज तथा कालाहांडी आदि मंडियों में चिरोंजी का पुराना स्टॉक नहीं है, जबकि बड़े स्टॉकिस्ट लिवाली में आ गए हैं। परिणामस्वरूप चिरोंजी और महंगी हो सकती है। (279) ब्रांड चिरोंजी के निर्माता उमेश अग्रवाल ने बताया कि उत्पादक मंडियों में नई चिरोंजी की आवक अप्रैल में ही शुरू हो गई थी। हालांकि इन दिनों भारी बारिश के चलते चिरोंजी में ग्राहकी समर्थन नहीं मिल रहा है। लिहाजा चिरोंजी में अपेक्षित तेजी नहीं आ सकी है। अग्रवाल ने कहा कि पैदावार एवं स्टॉक को देखते हुए चिरोंजी की कीमतें बारिश के बाद तेजी से बढ़ेंगी। लिहाजा कहा जा सकता है कि चिरोंजी के भाव दो माह बाद ही 1400 रुपए प्रति किलो तक पहुंच सकते हैं। गौरतलब है कि सीजन के प्रारंभ में बाजार चलने के बाद एक महीने तक चिरोंजी के भाव एक माह तक स्थिर रहे थे। उसके बाद बाजार फिर से चलने लगा था। इस बार चिरोंजी का पुराना स्टॉक बिल्कुल नहीं बचा है। सोनभद्र ओबरा लाइन में हल्की चिरोंजी भी इस बार कम है। इन परिस्थितियों में चिरोंजी के इस साल नए भाव बन सकते हैं।