रूस-यूक्रेन युद्ध का असर : दो सप्ताह में सरिया 20,000 रुपए प्रति टन महंगा

पिग, स्पाँज आयरन सहित सभी प्रकार के रॉ मैटेरियल में लगातार तेजी

सरिया के भाव बेकाबू, घर बनाना अब नहीं होगा आसान

जयपुर, 7 मार्च। अंतरराष्ट्रीय बा जारों में पिग एवं स्पाँज आयरन सहित सभी प्रकार के रॉ मैटेरियल में इन दिनों भारी तेजी का रुख देखा जा रहा है। लिहाजा फिनिश्ड् गुड्स की कीमतें भी आसमान छूने लगी हैं। स्थानीय लोहा मंडी में दो सप्ताह के अंतराल में ब्रांडेड सरिया के भाव करीब 20,000 रुपए प्रति टन उछल गए हैं। कंपनियों को कच्चा माल मिलना मुश्किल हो रहा है। प्रीमियर सरिया के एमडी अरुण जैन ने बताया कि यूरोपियन-एशियाई देशों में रूस-यूक्रेन युद्ध से जबरदस्त तनाव बना हुआ है। परिणामस्वरूप अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चा माल लगातार महंगा हो रहा है। स्थानीय लोहा मंडी में नई व पुरानी स्क्रैप में तेजी के चलते सरिया, एंगल, चैनल तथा गर्डर के भाव ताबड़तोड़ उछल गए हैं। जैन ने कहा कि निर्माताओं को रॉ मैटेरियल किसी भी भाव में क्षमता के अनुरूप नहीं मिल रहा है। यही कारण है कि सरिया एवं अन्य उत्पादों की उत्पादन लागत महंगी हो गई है। यही वजह है कि सरिया के भाव बेकाबू हो गए हैं। जयपुर लोहा मंडी में ब्रांडेड सरिया 8 एमएम का भाव 89000 रुपए प्रति टन जीएसटी पेड के आसपास पहुंच गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार घरेलू इस्पात निर्माताओं ने हॉट रोल्ड कॉयल और टीएमटी सरिया के दाम काफी बढ़ा दिए हैं। रूस-यूक्रेन संकट के कारण आपूर्ति बाधित होने से लोहा एवं इसके उत्पादों में मजबूती को बल मिला है। आने वाले हफ्तों में रूस-यूक्रेन के बीच सैन्य संघर्ष गहराने के साथ इनकी कीमतों में और बढ़ोतरी होने के आसार हैं। कोकिंग कोल की कीमतें उछलने से भी लोहे में तेजी को बल मिला है। गौरतलब है कि भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी कोकिंग कोल आयात के जरिये पूरा करता है। कोकिंग कोल कच्चा माल बनाने वाला एक प्रमुख उत्पाद है। यह ज्यादातर ऑस्ट्रेलिया से आयात किया जाता है। इसके अलावा कुछ हिस्सा दक्षिण अफ्रीका, कनाड़ा और अमेरिका से खरीदा जाता है। विशेषज्ञों ने बताया कि स्टील कीमतों में बढ़ोतरी से घरों, वाहनों और अन्य वस्तुओं की कीमतों पर असर पड़ना तय है।