रूस-यूक्रेन युद्ध का असर, गेहूं 80 रुपए प्रति क्विंटल महंगा

जयपुर मंडी में 2280 रुपए पहुंचा मिल डिलीवरी दड़ा गेहूं

जयपुर, 3 मार्च। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते इन दिनों गेहूं की कीमतें भी लगातार उछल रही हैं। रूस एवं यूक्रेन से गेहूं आयात करने वाले देश अब भारत का रुख कर सकते हैं। यही कारण है कि कांडला पोर्ट पर गेहूं की कीमतें चार दिन के अंतराल में 100 से 150 रुपए प्रति क्विंटल तक उछल गई हैं। जयपुर मंडी में गुरुवार को दड़ा गेहूं मिल डिलीवरी 80 रुपए की तेजी लेकर 2280 रुपए प्रति क्विंटल बिक गया। समर्थन पाकर आटा, मैदा एवं सूजी के भाव भी बढ़ाकर बोले जा रहे थे। मित्तल दलिया के निर्माता मुकुल मित्तल ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतें 14 साल के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। गौरतलब है कि भारत गेहूं उत्पादन में आत्म निर्भर है। मगर फिर भी भारत  कुछ मात्रा में उच्च ग्रेड अनाज का आयात करता है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजार में रूसी और यूक्रेनी गेहूं में कमी के चलते भारतीय निर्यातकों के लिए एक आकर्षक अवसर मिल गया है। लिहाजा घरेलू बाजार में गेहूं की कीमतें लगातार उछल रही हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत के केन्द्रीय पूल में 2.42 करोड़ टन अनाज है, जो बफर एवं रणनीतिक जरूरतों से दुगुना है। दुनिया में गेहूं के निर्यात का एक-चौथाई से अधिक हिस्सा रूस और यूक्रेन से होता है। रूस विश्व में गेहूं का सबसे बड़ा निर्यातक है। अंतरराष्ट्रीय निर्यात में इसका योगदान 18 फीसदी के आसपास है। मिस्र दुनिया में गेहूं का सबसे बड़ा आयातक है। यह अपनी 10 करोड़ से अधिक आबादी को खिलाने के लिए सालाना चार अरब डॉलर से अधिक खर्च करता है। रूस एवं यूक्रेन मिस्र की आयातित गेहूं की 70 फीसदी से अधिक मांग को पूरा करते हैं।