भारतीय चिकित्सा उपकरण उद्योग का फोकस अब मैन्यूफैक्चरिंग पर

जयपुर, 20 जून। भारत के चिकित्सा उपकरण उद्योग, शल्य चिकित्सा उपकरण और दवा उद्योग में आने वाले वर्षों में उल्लेखनीय तेजी आने के संकेत हैं। देश में लगभग 1800 घरेलू कंपनियां हैं। इनमें अधिकांश एमएसएमई फर्म हैं। आईटीए मेडिकल डिवाइसेज टॉप मार्केट रिपोर्ट 2016 के मुताबिक चिकित्सा उपकरणों के वैश्विक बाजार के 2020 तक 435.8 बिलियन अमेरिकी डालर तक पहुंचने की उम्मीद है। आरयूजे और एसआरएम के चेयरमैन स्विट्जरलैंड बेस्ड् वैज्ञानिक डा. राजेन्द्र जोशी ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि भारत के सामने इस बात की बड़ी संभावना है कि वह सर्जीकल उपकरणों के बाजार में कारोबार पर निर्भर रहने के स्थान पर मैन्यूफैक्चरिंग की तरफ जा सकता है। उन्होंने कहा कि हाल के दौर में इस क्षेत्र में नई कंपनियों ने इस सेगमेंट में प्रवेश किया है। इसमें एसआरएम टैक्नोलॉजीस (स्विट्जरलैंड) ने आरयूजे ग्रुप (जयपुर) के साथ संयुक्त उद्दम कायम किया है। एमएजी इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन सिस्टम्स (अमेरिका) ने भारत में अपनी सहायक कंपनी कायम की है। हैलर (जर्मनी) ने टीएएल मैन्यूफैक्चरिंग सॉल्यूशन के साथ जॉइंट वैंचर प्रारंभ किया है। ग्लाइडमीस्टर (जर्मनी) ने बैंगलुरू में टेक सेंटर खोला है। श्यूलर (जर्मनी) ने भी एक भारतीय कंपनी के साथ संयुक्त उद्दम लगाया है। एमएयूएस (इटली) ने भारत में मैन्यूफैक्चरिंग सुविधा के लिए बैंगलुरू की यूसीएएम के साथ जॉइंट वैंचर की शुरुआत की है। आरएस इंडिया जयपुर के प्लांट में विनिर्माण प्रक्रियाओं और तकनीकों जैसे 5 एक्सिस मिलिंग, टर्निंग, स्विस टाइप टर्निंग, सरफेस- सिलिंड्रिकल और सेंटर लैस ग्राइंडिंग, पंचिंग, लेजर कटिंग, बैंडिंग, वैक्यूम हीट ट्रीटमेंट, एनोडाइजिंग, प्लेटिंग, पाउडर कोटिंग और असेम्बलिंग अंडर क्लीन कंडीशंस की स्थापना की गई है। आरयूजे और एसआरएम मैकेनिक्स के एमडी जयंत जोशी ने कहा कि यहां बीटूबी विनिर्माण के लिए आवश्यक सभी प्रकार की प्रीसिशन मशीनिंग और असेम्बलिंग उपलब्ध कराई गई हैं।