राज्य की 647 आटा, बेसन व तेल मिलों में उत्पादन शुरू

जयपुर, 3 अप्रैल। लॉकडाउन के चलते राज्य की थोक मंडियों में कारोबार बंद है। लेबर प्रॉब्लम तथा परिवहन सुविधाओं के अभाव में प्रदेश की कुछ दाल मिलें कच्चे माल की कमी का सामना कर रही थीं। जानकारों का कहना है कि फिर भी दालों की आपूर्ति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। उल्लेखनीय है कि 21 दिन की देशव्यापी बंदी से जरूरी और गैर जरूरी जिंसों की ढुलाई भी ठप हो गई थी, मगर अब सुधार हो रहा है। इस बीच राज्य के उद्योग एवं राजकीय उपक्रम मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा है कि प्रदेश में 647 आटा, बेसन, दाल, तेल और मसाला मिलों में उत्पादन कार्य शुरू हो गया है। तथा सप्लाई चैन को भी चाकचौबंद किया जा चुका है। मीणा ने बताया कि अतिरिक्त मुख्य सचिव डा. सुबोध अग्रवाल, आयुक्त मुक्तानंद अग्रवाल, रीको एमडी आशुतोष पेडनेकर अपनी पूरी टीम के साथ नियमित मॉनिटरिंग कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के कारण उद्योग जगत खासा प्रभावित हुआ है। एसीएस उद्योग डा. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि अनुज्ञेय श्रेणी के उद्योगों को संचालन की अनुमति के साथ ही स्वास्थ्य मानकों की पालना सुनिश्चित करना हमारी पहली प्राथमिकता है। प्रक्रिया के सरलीकरण का ही परिणाम है कि राज्य में रीको एवं जिला उद्योग केन्द्रों द्वारा अकेले दो अप्रैल को ही एक ही दिन में 120 इकाईयों को अनुमति प्रदान की है। ज्ञात हो कि दो अप्रैल तक आटा, तेल एवं दाल मिलों को मिलाकर कुल 275 यूनिटों के संचालन की अनुमति दे दी है। अग्रवाल ने बताया कि अनुमति आदेशों में केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा जारी एडवायजरी की शत प्रतिशत पालना पर जोर दिया जा रहा है। उद्योग आयुक्त मुक्तानंद अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश में 647 आटा, दाल, तेल एवं मसाला मिलों में उत्पादन हो रहा है। इनमें 219 आटा मिलें, 120 दाल मिलें, 247 तेल मिलें और 70 मसाला मिलें चालू हैं।

इधर राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता ने कहा कि फिलहाल राज्य की 250 थोक मंडियों में कारोबार नहीं हो रहा है, हम 14 अप्रैल तक इंतजार करेंगे। लक्ष्मीभोग आटे के निर्माता नरेश चौपड़ा ने कहा कि लॉकडाउन के बावजूद मिलें चलाने में कोई परेशानी नहीं हो रही है। गेहूं की उपलब्धता भी सुचारू बनी हुई है।

जयपुर दाल मिलर्स एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पवन अग्रवाल ने बताया कि पिछले सप्ताह दलहनों में ट्रांसपोर्ट बंद होने के कारण अप्रत्याशित तेजी आ गई थी। ये बेहतर प्रशासनिक कुशलताओं का ही परिणाम है कि सभी उत्पादन करने वाली मिलों में कच्चा माल सुगमता से आने लगा है। चना दाल जो पिछले सप्ताह 5900 रुपए पहुंच गई थी, वर्तमान में इसके भाव 5300 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गए हैं। सभी प्रकार की दालों में पिछले चार दिन में 10 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।