कोरोना के कारण राज्य के सभी स्टील प्लांट बंद

निर्माताओं ने की बिजली का स्थाई शुल्क माफ करने की मांग

जयपुर, 4 अप्रैल। कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी को रोकने के लिए 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन के मद्देनजर राजस्थान की प्रमुख इस्पात कंपनियों को श्रमिकों की किल्लत जैसी समस्या से जूझना पड़ रहा है। यही कारण है कि प्रदेश के लगभग सभी इस्पात कारखानों में काम बंद पड़ा है। हालांकि केंद्र और राज्य सरकारों ने ट्रकों की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित की है, लेकिन ट्रकों पर माल के लदान के लिए श्रमिकों का अभाव एक प्रमुख चुनौती बनी हुई है। प्रीमियर बार्स लिमिटेड के डायरेक्टर अरूण जैन ने बताया कि 21 मार्च से ही सभी इस्पात प्लांट बंद पड़े हैं। जानकारों का कहना है कि राज्य की प्रमुख सरिया कंपनियों के प्लांट जैसे प्रीमियर, मंगला, कामधेनु, कृष्णा, शर्मा, एमको, एमपीके, भास्कर, बंशीवाला अजमेर तथा बजाज कोटा आदि में कामकाज ठप पड़ा हुआ है। राज्य के सरिया निर्माताओं ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि मार्च एवं अप्रैल माह के बिजली बिलों में लगने वाले स्थाई शुल्क को माफ किया जाए।

उधर स्टील एथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के सूत्रों के मुताबिक ट्रकों की आवाजाही में ढील दी गई है, लेकिन माल को लादने और उतारने के लिए लोग उपलब्ध नहीं हैं। पिछले सप्ताह सेल ने कोरोना की रोकथाम के लिए देशव्यापी लॉकडाउन के मद्देनजर अपने संयंत्रों में तात्कालिक व्यवधान की बात कही थी। सेल के सूत्रों ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की यह दिग्गज इस्पात कंपनी फिलहाल 50 फीसदी क्षमता पर उत्पादन कर रही है। इस्पात क्षेत्र के एक अन्य सार्वजनिक उपक्रम राष्ट्रीय इस्पात निगम के सूत्रों ने कहा कि इस अप्रत्याशित परिस्थिति में तैयार उत्पादों की आवाजाही कई करणों से प्रभावित हुई है। देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा किए जाने के बाद जेएसडब्ल्यू स्टील और टाटा स्टील सहित सभी प्रमुख इस्पात कंपनियों ने उत्पादन में कटौती की है। आर्सेलर मित्तल तथा निप्पॉन स्टील इंडिया भी न्यूनतम उत्पादन स्तर पर परिचालन कर रही है। केंद्र और राज्य सरकारों ने स्पष्ट किया है कि खनन, इस्पात, कोयला, बिजली, उर्वरक आदि आवश्यक सेवाओं की श्रेणी में आते हैं और इसलिए लॉकडाउन की अवधि में भी इन क्षेत्रों के संयंत्रों का परिचालन जारी रहेगा।