उत्पादन बेपड़ता होने से प्रदेश की अधिकांश तिल्ली तेल मिलें बंद

लाल तिल डली एवं पपड़ी में 250 रुपए प्रति क्विंटल का उछाल

जयपुर, 12 सितंबर। उत्पादन बेपड़ता होने से वर्तमान में देश भर की करीब 80 फीसदी तिल्ली तेल इकाईयां बंद हो गई हैं। राजस्थान में तिल्ली का तेल बनाने वाली लगभग 80 यूनिट हैं। इनमें से अधिकांश तेल मिलों में उत्पादन ठप पड़ा हुआ है। इस बीच लाल तिल्ली (बंगाल तिल्ली) की कीमतें निरंतर उछल रही हैं। चार पांच दिन के अंतराल में लाल तिल्ली 6 रुपए प्रति किलो और महंगी हो गई है। वर्तमान में एक्स कोलकाता लाल तिल्ली के भाव 95 रुपए प्रति किलो बोले जा रहे हैं। सत्य ट्रेडिंग कंपनी के दिनेश वैद ने बताया कि सफेद तिल्ली में भी लगातार मजबूती बनी हुई है। जयपुर मंडी में सफेद तिल्ली मंगलवार को 170 से 180 रुपए प्रति किलो पर मजबूत बिकी। लाल तिल्ली के भाव बढ़ने और तेल मिलों में उत्पादन ठप पड़ने से लाल तिल डली एवं पपड़ी में जोरदार उछाल आ गया है। स्थानीय कैटलफीड मार्केट में तिल डली एवं पपड़ी के भावों में 250-250 रुपए प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई है। तिल डली 5000 रुपए तथा तिल पपड़ी के भाव 3650 रुपए प्रति क्विंटल पहुंच गए हैं। दिनेश वैद ने कहा कि तिल्ली तेल की डिमांड नहीं होने से तिल्ली खल का उत्पादन नहीं हो रहा है। परिणामस्वरूप तिल्ली खल के भाव निरंतर उछल रहे हैं। राजस्थान के साथ-साथ पश्चिमी बंगाल एवं उत्तर प्रदेश के कानपुर तथा आगरा की तिल्ली तेल इकाइंयों में भी उत्पादन नहीं हो रहा है। वर्तमान में लाल तिल्ली तेल का भाव 240 रुपए तथा सफेद तिल्ली तेल 290 रुपए प्रति किलो का पड़ता लग रहा है, लेकिन इन भावों पर तिल्ली तेल की उपभोक्ता मांग नहीं के बराबर है। इस बीच भारत सबसे ज्यादा खाद्य तेल इंडोनेशिया और मलेशिया से मंगा रहा है। यहां से हमारे पास पाम ऑयल आ रहा है, जबकि रूस और यूक्रेन से हम सूरजमुखी तेल खरीद रहे हैं। इसी प्रकार अर्जेंटीना से सोयाबीन ऑयल मंगाया जा रहा है। दूसरी ओर भारत के किसानों को प्रमुख तिलहनी फसलों का सही दाम तक नहीं मिल रहा है। वतर्मान समय में सरसों का एमएसपी 5450 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि किसानों को उनकी उपज से इससे कम दाम मिल रहा है।