सरसों से मंडी शुल्क एवं मंडी सैस समाप्त किया जाए

राजस्थान से बाहर जाकर बिक रही प्रदेश की सरसों

जयपुर, 23 जनवरीसरसों सीड पर मंडी शुल्क एवं मंडी सैस के चलते राजस्थान की सरसों राज्य से बाहर जाकर बिक रही है। इससे राज्य सरकार, व्यापारी एवं मजदूर वर्ग को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। ध्यान रहे वर्तमान में सरसों सीड पर 1 फीसदी मंडी शुल्क एवं 1.25 प्रतिशत मंडी सैस लागू है। मस्टर्ड ऑयल प्रॉड्यूशर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (मोपा) के नेशनल प्रेसिडेंट बाबूलाल डाटा एवं एसोचैम के चेयरमैन अजय डाटा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ हाल ही हुई टैक्स एडवाइजरी कमेटी की बैठक में यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020-21 में राजस्थान में 35 लाख टन सरसों की पैदावार हुई थी, जिसमें से 25 लाख टन सरसों मंडियों में आ पाई। इसी प्रकार वर्ष 2021-22 में प्रदेश में 55 लाख टन सरसों का उत्पादन हुआ था, जिसमें से 45 लाख टन सरसों राज्य की मंडियों में पहुंची। डाटा ने कहा कि मंडी शुल्क एवं मंडी सैस लागू होने से राजस्थान की सरसों पड़ौसी राज्या में जाकर बिक रही है। डाटा ने कहा कि इससे बचने के लिए सरसों सीड से मंडी शुल्क एवं मंडी सैस को तुरंत प्रभाव से समाप्त किया जाना चाहिए। अजय डाटा ने स्टार्टअप पॉलिसी पर भी जोर दिया। उन्होने कहा कि राजस्थान में अभी 2200 स्टार्टअप कार्यरत हैं, जिसमें करीब 25 हजार लोगों को रोजगार मिला हुआ है। यदि राजस्थान सरकार स्टार्टअप ईकोसिस्टम के साथ मिलकर इसका टारगेट 10,000 स्टार्टअप कर दे तो डेढ़ लाख लोगों को रोजगार मिल सकता है। मुख्यमंत्री ने दोनों सुझावों को सुनकर शीघ्र समाधान करने का आश्वासन दिया।