घरेलू खपत का 70 फीसदी तेल आयात करता है भारत

दलहनों की तरह तिलहन की पैदावार बढ़ाना जरूरी

बजट से उम्मीद : थमेगा खाद्य तेलों का आयात

जयपुर, 26 जून। राज्य के सरसों तेल उद्दमियों के लिए इन दिनों अच्छी खबर आई है। केन्द्र सरकार आने वाले बजट में आयातित तेलों की सीमा तय कर सकती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद में हाल ही ऐसे संकेत दिए हैं। मोदी ने कहा है कि खाने के तेलों का इम्पोर्ट रुकना चाहिए। ज्ञात रहे वर्तमान में भारत अपनी घरेलू खपत का करीब 70 फीसदी खाद्य तेल आयात करता है। जिस पर करोड़ों रुपए की विदेशी मुद्रा खर्च होती है। गौरतलब है कि वर्तमान में सरसों सीड एमएसपी से लगभग 700 रुपए प्रति क्विंटल नीचे बिक रही है। मंडियों में सरसों सीड के भाव 3500 रुपए के आसपास चल रहे हैं, जबकि सरसों का एमएसपी 4200 रुपए प्रति क्विंटल है।

संसद में प्रधानमंत्री मोदी ने संकेत दिए हैं कि बजट में तेल व तिलहन की दशा सुधारने पर बड़ा ऐलान हो सकता है। प्रधानमंत्री का मानना है कि खाने के तेलों का आयात थमना चाहिए। उन्होंने कहा कि दलहन की तरह तिलहन पैदावार बढ़ाने पर भी सरकार का फोकस रहेगा। मस्टर्ड ऑयल प्रॉड्यूशर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (मोपा) के अध्यक्ष बाबूलाल डाटा एवं उपाध्यक्ष सुरेश चंद जैन ने पूर्व में केन्द्र सरकार को कई बार आयातित तेलों पर भारी इम्पोर्ट ड्यूटी लगाने की मांग की है। डाटा ने सरकार को ये भी कहा है कि यदि किसान को उसकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिला तो इस बार वह सरसों की बिजाई नहीं करेगा। क्योंकि वर्तमान में सरसों एमएसपी से काफी नीचे बिक रही है। हालांकि नेफैड एमएसपी पर सरसों की खरीद कर रहा है, लेकिन वह भी सीमित ही है। मोपा ने मांग की है कि एमएसपी पर सरसों की खरीद 30 जुलाई तक जारी रहनी चाहिए। उद्दमियों की प्रारंभ से ही मांग रही है कि आयातित तेलों पर तुरंत रोक लगनी चाहिए, जिससे घरेलू तेल इकाईयां पनप सकें।