पाम ऑयल की मांग में 20 फीसदी की गिरावट

जयपुर, 8 जुलाईदुनिया के सबसे बड़े खाद्य तेल आयातक भारत में इस साल पाम तेल की मांग में गिरावट आने वाली है, क्योंकि कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन के चलते उपभोक्ता का फोकस अन्य खाद्य तेलों की ओर बढ़ा है। देश की अग्रणी कंपनी अडानी विल्मार के उप मुख्य कार्यकारी अंगुश मलिक के अनुसार 31 अक्टूबर को समाप्त होने वाले विपणन वर्ष 2019-20 में भारत का पाम तेल आयात पिछले साल की तुलना में 20 प्रतिशत फिसलकर 75 लाख टन रहने के आसार हैं। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2010-11 के बाद से यह सबसे कम आयात होगा। लॉकडाउन के बाद होटल और रेस्टोरेंट उस तरह से नहीं खुल रहे हैं, जिस तरह की हम उम्मीद कर रहे थे। लोगों का उस तरह से बाहर जाना और खाना नहीं हो रहा है, जैसा पहले हुआ करता था।

ज्ञात रहे पिछले दो दशकों के दौरान भारत में खाद्य तेल की खपत में तीन गुना इजाफा हुआ है, क्योंकि आबादी बढ़ी है, आमदनी में वृद्धि हुई है और लोगों ने बाहर अधिक खाना शुरू कर दिया है। पाम तेल सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला और आयात किया जाने वाला तेल बन चुका है, लेकिन ऐसा प्रमुख रूप से खाद्य प्रसंस्करणकर्ताओं जैसे इसके थोक खरीदारों और रेस्टोरेंट्स के मामले में ही है। भारतीय परिवार परंपरागत रूप से सरसों, तिल्ली, मूंगफली एवं सूरजमूखी तेल जैसे बढिय़ा विकल्पों का चयन कर रहे हैं। कोरोना वायरस का प्रसार रोकने के लिए लॉकडाउन ने घर से बाहर खाने में कमी ला दी है। खानपान केंद्रों और सड़कों पर बिक्री करने वालों का काम बंद होने का असर यह हुआ है कि खुदरा दुकानों पर कुल मांग में कमी आई है। जानकारों का कहना है कि देश की राज्य सरकारें सालों से गरीबों को रियायती दामों पर पाम तेल उपलब्ध कराती रही हैं जिससे यह धारणा बन गई है कि यह बढिय़ा उत्पाद नहीं होता है।