माल्ट कंपनियों की डिमांड नहीं होने से जौ 200 रुपए सस्ता

गेहूं में भी लंबी तेजी का व्यापार नुकसानदायक हो सकता है

जयपुर, 8 मई। इस वर्ष देश में जौ का उत्पादन पिछले साल की तुलना में करीब डेढ़ गुना अधिक हुआ है। इस बीच जौ में माल्ट कंपनियों की डिमांड भी इन दिनों कमजोर चल रही है। यही कारण है कि जौ की कीमतों में पिछले तीन सप्ताह के अंतराल में 200 रुपए प्रति क्विंटल निकल गए हैं। बगरू मंडी में लूज जौ के भाव वर्तमान में 1700 से 1950 रुपए प्रति क्विंटल पर घटाकर बोले जा रहे हैं। स्थानीय राजधानी कृषि उपज मंडी कूकरखेड़ा स्थित फर्म अविशि ट्रेडिंग कंपनी के जितेन्द्र सर्राफ ने बताया कि कैटलफीड जिंसों में भी मंदी के चलते जौ की कीमतों में गिरावट को बल मिल रहा है। उधर गेहूं का उत्पादन अधिक होने तथा निर्यात पर प्रतिबंध लगने से घरेलू मंडियों में गेहूं का स्टॉक अधिक जमा हो गया है। इसके अलावा केन्द्रीय पूल में भी गेहूं की खरीद गत वर्ष की तुलना में बहुत ज्यादा हो चुकी है। इन परिस्थितियों में गेहूं में लंबी तेजी का व्यापार नुकसानदायक हो सकता है। ध्यान रहे इस साल गेहूं की पैदावार चौतरफा अधिक हुई है। पिछले दिनों हुई बारिश के कारण कुछ गेहूं दागी जरूर हो गया है। देश में इस साल गेहूं का उत्पादन 1122 लाख टन के आसपास होने का अनुमान है। जयपुर मंडी में मिल डिलीवरी दड़ा गेहूं नैट के भाव 2220 रुपए प्रति क्विंटल पर स्थिर बने हुए हैं। सरकारी गोदामों की स्थिति तो यह है कि पिछले साल पूरे सीजन में एफसीआई ने 188 लाख टन गेहूं की खरीद की थी, वह इस साल एक माह में ही 227 लाख टन खरीद को पार कर चुकी है। जबकि एफसीआई के पोर्टल पर अभी दो दिन की खरीद नहीं दी गई है। इस बीच मक्का के भावों में निरंतर गिरावट आने से गेहूं एवं जौ में तेजी को समर्थन नहीं मिल रहा है। इसे देखते हुए गेहूं में लंबी तेजी के आसार फिलहाल तो नहीं हैं।