बिहार के फूल मखाना को वैश्विक पहचान शीघ्र

जीआई टैग मिलने का रास्ता साफ, तेज होगा निर्यात

जयपुर, 17 नवंबर। बिहार के फूल मखाने को शीघ्र ही वैश्विक पहचान मिल सकती है। इसको जीआई टैग मिलने का रास्ता साफ हो गया है। केन्द्र सरकार के कंसल्टेटिंग समूह ने पटना में हाल ही इसकी बैठक कर सारी बाधाएं दूर कर दी हैं। अब जल्द ही इस उत्पाद को बिहार का मखाना के रूप में जीआई टैग मिल जाएगा। इसके बाद इसका एक्सपोर्ट भी बढ़ने की संभावना है। विश्व पटल पर भारत का  बिहार ही एक ऐसा राज्य है, जहां फूल मखाने का 85 फीसदी उत्पादन होता है। इस साल बिहार में लगभग 6 हजार टन फूल मखाने की पैदावार होने का अनुमान है। इसके अलावा शेष 15 प्रतिशत में जापान, जर्मनी, कनाड़ा, बंग्लादेश एवं चीन आते हैं। किराना एवं ड्राई फ्रूट मार्केट दीनानाथ की गली स्थित बालभोग फूल मखाने के निर्माता हंसराज अग्रवाल ने बताया कि हालांकि वर्तमान में फूल मखाने के भाव लगभग स्थिर बने हुए हैं। मगर जीआई टैग मिलने के बाद इसमें तेजी संभावित है। वर्तमान में फूल मखाना 650 से 1100 रुपए प्रति किलो क्वालिटी वाइज बिक रहा है। ध्यान रहे मखाना को जीआई टैग मिलने के बाद विश्व में कोई कहीं भी मार्केटिंग करेगा तो वह बिहार के मखाना के नाम से जाना जाएगा।

क्या होता है जीआई टैग

वर्ल्ड इंटलैक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूआईपीओ) के अनुसार जियोग्राफिकल इंडिकेशंस (जीआई टैग) एक प्रकार का लेबल होता है, जिसमें किसी प्रॉडक्ट को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है। भारतीय संसद ने वर्ष 1999 में रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटैक्शन एक्ट के तहत जियोग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स लागू किया था। इस आधार पर भारत के किसी भी क्षेत्र में पाए जाने वाली विशिष्ट वस्तु का कानूनी अधिकार उस राज्य को दे दिया जाता है। भारत में यह टैग् किसी खास फसल, प्राकृतिक और मैन्युफैक्चर्ड प्रॉडक्ट्स को दिया जाता है। जीआई टैग को हासिल करने के लिए चैन्नई स्थित जीआई डेटाबेस में आवेदन करना पड़ता है। भारत में अब तक करीब 272 वस्तुओं को जीआई टैग मिल चुका है।