स्टॉक तंगी से काबली चना थोक में 170 रुपए प्रति किलो पहुंचा

टर्की, सीरिया और सूडान में भूकंप के चलते काबली की फसल नष्ट

जयपुर, 14 अगस्त। मंडियों में स्टॉक तंगी के कारण काबली चने के भाव एक बार फिर उछल गए हैं। उत्पादन केन्द्रों पर काबली चने की शॉर्टेज होने से इसकी कीमतों में और तेजी के आसार बताए जा रहे हैं। जयपुर मंडी में महाराष्ट्र का काबली चना सोमवार को 125 से 135 रुपए तथा मध्य प्रदेश का काबली 140 से 170 रुपए प्रति किलो पर मजबूत बोला जा रहा है। तीन-चार दिन के अंतराल में काबली चने में 10 रुपए प्रति किलो की मजबूती दर्ज की गई है। उत्पादक मंडियों में नए काबली चने की आवक फरवरी-मार्च में शुरू हो जाती है। इसे देखते हुए काबली चने में और तेजी के संकेत हैं। जानकारों का कहना है कि इस साल काबली चने का उत्पादन अनुमान 18 लाख टन बताया गया था, लेकिन दो माह बाद इसे घटाकर 15 लाख टन बोलने लगे हैं। काबली का पुराना स्टॉक भी नहीं के बराबर है। उधर टर्की, सीरिया और सूडान में पिछले दिनों आए भूकंप के चलते वहां के काबली चने की फसल नष्ट हो गई है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए काबली चने की शॉर्टेज बन सकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी काबली चने के भाव ऊंचे बोले जा रहे हैं। कर्नाटक में निर्यातकों की निरंतर लिवाली के चलते वहां पर काबली चने के भाव मजबूत हो गए हैं। मध्य प्रदेश की इंदौर-भोपाल लाइन में काबली चने का स्टॉक नगण्य है। इसी प्रकार डबरा लाइन में काबली का स्टॉक नहीं के बराबर है। इस बीच विदेशों से काबली चने का पड़ता नहीं लग रहा है। कनाड़ा एवं ऑस्ट्रेलिया में काबली चना पहले ही महंगा बोला जा रहा है। यूक्रेन की स्थिति खराब चल रही है। लिहाजा कहा जा सकता है कि काबली चने का भविष्य मंदे का बिल्कुल नहीं है। रिटेल काउंटरों पर काबली के भाव बढ़कर 200 रुपए प्रति किलो के आसपास पहुंच गए हैं।