मक्का के भाव तीन साल के न्यूनतम स्तर पर

लॉकडाउन में कृषि जिंसों पर व्यापक असर

एमएसपी से 600 रुपए प्रति क्विंटल नीचे बिक रही मक्का

जयपुर, 13 मई। लॉकडाउन के दौरान मक्का की कीमतें निरंतर गिर रही हैं। स्टार्च कारखानों एवं स्टॉकिस्टों की डिमांड नहीं होने से जयपुर मंडी में मक्का डेढ़ माह के अंतराल में 325 रुपए मंदी होकर 1325 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गई है। यानी मक्का की कीमतें तीन साल के न्यूनतम स्तर पर आ गई हैं। लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में जयपुर मंडी में मक्का 1650 रुपए प्रति क्विंटल बिकी थी, जो कि अब 1325 रुपए प्रति क्विंटल बिकने लगी है। कारोबारी राकेश खंडेलवाल ने बताया कि इस साल बिहार में मक्का की पैदावार डेढ़ गुना हुई है, जबकि वर्तमान में पौल्ट्री फार्म्स एवं स्टार्च इकाईयों में मक्का की डिमांड काफी कम है। खंडेलवाल ने कहा कि पौल्ट्री फार्म्स में मक्का की लिवाली नहीं के बराबर है। स्टार्च कंपनियों की लिवाली भी 30 फीसदी तक घटी है। यही कारण है कि मक्का में लगातार मंदी का रुख देखा जा रहा है।

आमतौर पर मक्का की फसल साल में एक ही बार आती है, लेकिन बिहार में रबी एवं खरीफ दोनों ही सीजन में मक्का की पैदावार होती है। बिहार की मंडियों में लूज मक्का के भाव 1150 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास चल रहे हैं। जबकि मक्की का एमएसपी 1760 रुपए प्रति क्विंटल है। इस प्रकार मक्का न्यूनतम समर्थन मूल्य से 600 रुपए प्रति क्विंटल नीचे बिक रही है। देश में इस साल लगभग 125 लाख टन मक्का उत्पादन का अनुमान है। इसमें से अकेले बिहार में 50 लाख टन मक्का उत्पादन के आसार हैं। उधर मध्य प्रदेश एवं बिहार में मक्की का भरपूर स्टॉक बताया जा रहा है। भीलवाड़ा से ब्रोकर संजय अजमेरा का कहना है कि नीचे भावों पर भी मक्का में रैक वालों की मांग नहीं है। इस बीच दो फीसदी किसान कल्याण फीस के विरोध में राजस्थान की मंडियों में हड़ताल चल रही है। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के बैनर तले प्रदेश की 250 मंडियों में कारोबार बंद है। लिहाजा राजस्थान में मक्की का कोई व्यापार नहीं हो रहा है।