आयातित पामोलिन पर ड्यूटी घटाई तो घरेलू तेल उद्योग प्रभावित होगा

जयपुर, 15 सितंबर। सरकार इंडोनेशिया से आयातित आरबीडी पामोलिन पर सीमा शुल्क की वर्तमान दर को यदि घटाती है, तो विदेशी तेल और सस्ते हो जाएंगे। परिणामस्वरूप घरेलू खाद्य तेल इकाईयों के सामने संकट और गहरा हो जाएगा। ये कहना है मस्टर्ड ऑयल प्रॉड्यूशर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (मोपा) के अध्यक्ष बाबूलाल डाटा का। भारत में मलेशिया से आने वाले आरबीडी पामोलिन पर कस्टम ड्यूटी वर्तमान में 45 फीसदी है, जबकि इंडोनेशिया से आने वाले पामोलिन पर ड्यूटी 50 प्रतिशत है। हालांकि भारतीय किसानों की सहायता करने के लिए पिछले दिनों ही भारत सरकार ने मलेशिया से आने वाले रिफाइंड पाम तेल पर भी आयात शुल्क पांच प्रतिशत बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया है। गौरतलब है कि भारत से इंडोनेशिया को कच्ची चीनी का निर्यात होता है। इस निर्यात को स्वीकार करने की एवज में भारत सरकार आरबीडी पामोलिन पर सीमा शुल्क घटा सकती है।

चीनी का नया सत्र एक अक्टूबर को शुरू हो रहा है। उससे पहले देश में 140 लाख टन चीनी का स्टॉक बचेगा। यही कारण है कि सरकार 60 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति दे चुकी है। इन खबरों से जहां एक ओर भारतीय कच्ची चीनी उद्योग में खुशी की लहर है, वहीं खाद्य तेल उद्योग सकते में है। मोपा अध्यक्ष डाटा ने कहा कि यदि तेल का बाहर से सीधे तौर पर आयात किया जाता है तो इससे क्रशिंग और रिफाइनिंग इकाईयों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

भारतीय चीनी मिलें इंडोनेशिया के लिए कच्ची चीनी का निर्यात नहीं कर पा रही हैं। इसका प्रमुख कारण है कि इंटरनेशनल कमीशन फॉर मैथड्स ऑफ शुगर एनालिसिस में भारतीय कच्ची चीनी का स्तर 500 से 600 के बीच है। वहीं कच्ची चीनी का वैश्विक औसत स्तर 1200 आईसीयूएमएसए है। इंडोनेशिया ने प्रस्ताव रखा है कि यदि भारत उसके यहां से आने वाले रिफाइंड पाम तेल पर आयात शुल्क घटाता है तो वह 1200 आईसीयूएमएसए से कम स्तर वाली भारतीय कच्ची चीनी का आयात करने के लिए तैयार है। इंडोनेशिया चीनी के मामले में विश्व का बड़ा आयातकर्ता है। इसकी वार्षिक मांग 35 से 45 लाख टन है।