सरसों पर से स्टॉक सीमा समाप्त करने का अनुरोध

राजस्थान में इस वर्ष 60 लाख टन सरसों उत्पादन का अनुमान

प्रदेश की मंडियों में प्रतिदिन तीन लाख बोरी सरसों की आवक

जयपुर, 21 फरवरी। मस्टर्ड ऑयल प्रॉड्यूशर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (मोपा) ने इस साल सरसों सीड के बंपर उत्पादन को देखते हुए राज्य सरकार से सरसों पर लागू स्टॉक सीमा समाप्त करने की गुजारिश की है। मोपा अध्यक्ष बाबूलाल डाटा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बजट पूर्व भेजे ज्ञापन में कहा है कि पिछले वर्ष राजस्थान में 36 लाख टन सरसों का उत्पादन हुआ था, जो कि इस साल बढ़कर 60 लाख टन के आसपास होने जा रहा है। डाटा ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में 3 लाख बोरी सरसों की प्रतिदिन आवक शुरू हो गई है, जो कि शीघ्र ही 8 लाख बोरी के आसपास पहुंचने की संभावना है। प्रदेश में सरसों की बंपर पैदावार को देखते हुए राज्य सरकार को सरसों पर से स्टॉक सीमा तुरंत प्रभाव से हटा लेनी चाहिए। इसका लाभ किसानों के साथ-साथ तेल-तिलहन उद्योग को भी मिलेगा।

मोपा के संयुक्त सचिव अनिल चतर ने कहा कि स्टॉक सीमा तुरंत नहीं हटाई गई तो राज्य के किसानों को सरसों की पैदावार औने-पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। चूंकि स्टॉक सीमा के चलते तेल मिलें एवं कारोबारी सरसों ही नहीं खरीद सकेंगे तो किसान को अपनी सरसों एमएसपी से नीचे दामों पर भी बेचनी पड़ सकती है। लिहाजा मोपा ने सरकार से अपील की है कि या तो सरसों पर से स्टॉक सीमा खत्म की जाए, अन्यथा इसे बढ़ाकर कई गुना किया जावे। राजस्थान के तेल तिलहन उद्योग एवं किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए वर्तमान में जारी मंडी टैक्स एवं एग्री सैस को तुरंत प्रभाव से हटाया जावे। प्रदेश की बहुप्रतीक्षित मांग रही है कि राजस्थान को सरसों प्रदेश घोषित किया जाए, क्योंकि देश के कुल उत्पादन का 50 फीसदी से अधिक सरसों अकेले राजस्थान में पैदा हो रही है।